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लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

संप्रग एक की सरकार में लालू प्रसाद के साथ केंद्रीय मंत्री रहे और वर्ष 2009 का लोकसभा और 2010 का विधानसभा चुनाव उनके साथ मिलकर लड़ने वाले बिहार के वरिष्ठ दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि लालू के साथ रहने के जमाने में भी कभी दोनों के दिल नहीं मिले।
लालू से कभी दिल का रिश्ता नहीं रहा: पासवान

पासवान ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा,  लालू से हमारा कभी दिल से दिल का रिश्ता नहीं रहा। उनका भी हमसे नहीं रहा। मैं कभी लालू के साथ गठबंधन नहीं करना चाहता था। केवल 2010 के विधानसभा चुनावों को छोड़कर मैंने कभी बिहार में लालू के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2009 में, मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल के कारण संप्रग में था। दरअसल पासवान से पूछा गया था कि जब वह खुद लालू के साथ रह चुके हैं तो अब लालू के साथ जाने पर नीतीश की आलोचना कैसे कर सकते हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद लोजपा प्रमुख ने सबसे पहले राजग से नाता तोड़ा था और उनकी लोक जनशक्ति पार्टी वर्ष 2009 से राजद के साथ गठबंधन में रही थी। प्रसाद और पासवान संप्रग एक सरकार में मंत्री थे। संप्रग एक के शुरुआत के कुछ सालों में दोनों के कड़वे संबंध थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे रेल मंत्रालय पर दावेदारी को लेकर पैदा हुए थे। दोनों 2009 के लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे के साथ आए थे जब उन्होंने सभी तीनों दलों के लिए निराशाजनक चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस से पल्ला झाड़ लिया था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद के साथ सीट बंटवारे पर फैसले में देरी से नाखुश पासवान ने लालू से संबंध तोड़ लिया और भाजपा का दामन थाम लिया था जिसने उनकी पार्टी की किस्मत ही पलट दी। हालिया कुछ महीनों से पासवान लालू की कड़ी आलोचना करते रहे हैं और उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए राजद प्रमुख लालू के पनौती साबित होने तक की भविष्यवाणी कर डाली है। पासवान ने कहा,  लालू एक ऐसे इंसान हैं जो एक हाथ गठबंधन सहयोगी की गर्दन पर रखते हैं और दूसरा उसके पैरों पर।

बच्चों के हाथ में किताब की जगह शराब दी नीतीश ने

यही नहीं पासवान ने कहा कि जदयू नेता नीतीश कुमार के साथ भी उनके अच्छे संबंध नहीं हैं। विकास के दावे करने पर बिहार के मुख्यमंत्री की खिंचाई करते हुए पासवान ने कहा कि उनके ये दावे फर्जी हैं। नीतीश के चुनावी नारे ‘बिहार में बहार हो, नीतीश कुमार हो’ पर चुटकी लेते हुए हुए पासवान ने कहा, किस समृद्धि की बात कर रहे हैं वह? पिछले 10 साल में बिहार में एक भी उद्योग नहीं आया, हां, हर जगह शराब की दुकानें जरूर खुल गईं। क्या वह शराब के मामले में समृद्धि की बातें कर रहे हैं? केंद्रीय मंत्री ने कहा, बच्चों के हाथों में किताब की जगह शराब की बोतल थमाने के बाद अब  नीतीश कहते हैं कि फिर से सत्ता में आने पर शराब पर पाबंदी लगा देंगे। नीतीश की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्सर किए जाने वाले हमलों पर बिहार के मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए पासवान ने कहा कि वह सूरज पर कीचड़ उछालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, नीतीश कुमार मोदी का विरोध कर रहे थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव में इसका परिणाम देख लिया। जदयू इस बार दोहरे अंक में भी नहीं पहुंच पाएगी।

मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं घोषित करने से राजग को फायदा

लोजपा हालांकि पासवान के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का संकेत दे चुकी है लेकिन वह स्वयं इससे इंकार करते हैं। पासवान का यह भी कहना है कि बिहार में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने से राजग को मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि यदि राजग सत्ता में आती है तो बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री पद पर भाजपा की दावेदारी होगी। पासवान ने कहा,  1990 में वी.पी. सिंह चाहते थे कि मैं मुख्यमंत्री बनूं। मैंने मुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया। बाद में जब मैं राजग में शामिल हुआ तो वाजपेयी चाहते थे कि मैं बिहार का मुख्यमंत्री बनूं। इसी प्रकार, फरवरी 2005 के चुनाव के बाद मैं मुख्यमंत्री बन सकता था। मैं तीन बार इससे इंकार कर चुका हूं। उन्होंने कहा, इस बार राजग के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद पर भाजपा का दावा बनता है। हम राजग के तहत नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लड़ रहे हैं। वो जिसे भी मुख्यमंत्री के रूप में चुनते हैं, वह हमें स्वीकार्य है। यह पूछे जाने पर कि जब राजग को चुनाव जीतने का भरोसा है तो वे बिहार में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा क्यों नहीं कर रहे हैं, पासवान ने कहा, राजग को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा क्यों करनी चाहिए? केवल इसलिए कि लालू और नीतीश ने ऐसा किया है? उनके पास कोई और नहीं है, इसलिए उन्होंने किया। हमारे पास कई अच्छे नेता हैं। पासवान ने कहा, हम बिहार में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। हमने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किए बगैर और सामूहिक नेतृत्व में लड़कर महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव जीते हैं। बिहार में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित न करने से भाजपा को मदद मिल रही है। 

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