महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेताओं की फोन टैंपिंग का मामला सामने आया है। इस मामले में उद्धव सरकार ने शुक्रवार को जांच के आदेश दिए हैं। फोन टैंपिंग का मामला चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार बनाने की कोशिश के दौरान की गई थी। बताया जा रहा है कि शरद पवार, उद्धव ठाकरे और संजय राउत उन नेताओं में से हैं, जिनके फोन टैप किए गए थे। चुनाव में एक तरफ भाजपा-शिवसेना गठबंधन था तो दूसरी ओर कांग्रेस-राकांपा थीं। लेकिन नतीजों के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने मिलकर सरकार बनाई।
फोन टैंपिंग की खबर सामने आने के बाद पहले महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख, और फिर शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि पिछली देवेंद्र फडणवीस सरकार विपक्ष के नेताओं के फोन टैप कराती थी। इससे पहले देशमुख ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार में विपक्षी नेताओं के फोन टैप करने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया।
शिवसेना नेता संजय राउत के आरोप
शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'काफी पहले बीजेपी सरकार के एक मंत्री ने बताया था कि आपका फोन टैप किया जा रहा है। तब मैंने उनसे कहा था कि जो भी मेरी बातचीत सुनना चाहता है सुने। मैं बाला साहेब ठाकरे का चेला हूं। कोई बात या काम छुप-छुपकर नहीं करता। सुनो मेरी बात।'
जांच के आदेश
इससे पहले देशमुख ने गुरुवार को बताया था कि पुलिस विभाग के साइबर सेल को फोन टैपिंग की शिकायतों की जांच करने का निर्देश दिया गया है। देशमुख ने कहा कि अगर फोन टैपिंग की बात सच है तो यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि सरकार उन अधिकारियों को भी ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है जिन्हें कथित तौर पर स्नूपिंग सॉफ्टवेयर का अध्ययन करने के लिए इजराइल भेजा गया था।
फडणवीस ने महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर साधा था निशाना
पिछले दिनों महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को 'मातोश्री' (उद्धव ठाकरे के निवास) से नहीं, बल्कि 'दिल्ली के मातोश्री' से नियंत्रित किया जा रहा है।