प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष शासित कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का जिक्र करते हुए बुधवार को इन राज्यों से ‘‘राष्ट्र हित’’ में पेट्रोलियम उत्पादों पर से वैट घटा कर आम आदमी को राहत देने तथा वैश्विक संकट के इस दौर में सहकारी संघवाद की भावना के साथ काम करने की अपील की।
मोदी ने बुधवार को कहा कि पिछले साल नवंबर महीने में केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती किए जाने के बावजूद कुछ राज्यों ने इस पर वैट नहीं घटाया और अपने लोगों को इसका लाभ ना देकर उन्होंने उनके साथ ‘‘अन्याय’’ किया है।
देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उभरती परिस्थिति पर मुख्यमंत्रियों से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि वह महामारी से इतर एक अलग विषय उठाना चाहते हैं और यह विषय वैश्विक स्थिति की वजह से चुनौतियों का सामना कर रहे आम लोगों से जुड़ा है।
#WATCH | Centre reduced the excise duty on fuel prices last November and also requested states to reduce tax. I am not criticizing anyone but request Maharashtra, West Bengal, Telangana, Andhra Pradesh, Kerala, Jharkhand, TN to reduce VAT now and give benefits to people: PM Modi pic.twitter.com/IPIuOJyTGK
— ANI (@ANI) April 27, 2022
उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘जो युद्ध की परिस्थिति पैदा हुई है, उससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है और ऐसे माहौल में दिनों-दिन चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।’’ मोदी ने कहा, ‘‘यह वैश्विक संकट अनेक चुनौतियां लेकर आ रहा है। ऐसे में केंद्र और राज्य के बीच तालमेल को और बढ़ाना अनिवार्य हो गया है।’’
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा छेड़ते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत का बोझ कम करने के लिए उत्पाद कर में पिछले नवंबर में कमी की थी। उन्होंने कहा कि राज्यों से भी आग्रह किया गया था कि वे अपने यहां टैक्स कम करें ओर जनता को इसका लाभ दें।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राज्यों ने तो अपने यहां टैक्स कम कर दिया लेकिन कुछ राज्यों ने अपने लोगों को इसका लाभ नहीं दिया। इस वजह से इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऊंची रही। एक तरह से यह सिर्फ इन राज्यों के लोगों के साथ ही अन्याय नहीं है बल्कि इसका पड़ोसी राज्यों पर भी असर पड़ा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु ने किसी न किसी कारण से केंद्र सरकार की बातों को नहीं माना और उन राज्यों के नागरिकों पर बोझ पड़ता रहा।उन्होंने कहा, ‘‘मेरी प्रार्थना है कि नंवबर में जो करना था, वह अब कर दें, वैट कम करके आप नागरिकों को इसका लाभ पहुंचाएं।’’