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'सूरत को देख लें, बिहार की सूरत क्‍या बदलेंगे'

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार को सवा लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने के दावे की पोल खोल दी है। नीतीश कुमार ने इस पैकेज में शामिल हरेक घोषणा का बारीकी से विश्‍लेषण किया है। उनका कहना है कि विशेष पैकेज में 87 फीसदी राशि पुरानी योजनाओं की है और सिर्फ 10368 की राशि नई है।
'सूरत को देख लें, बिहार की सूरत क्‍या बदलेंगे'

नीतीश ने पटना में संवाददाताओं से कहा कि हमने मुनासिब समझा कि इस विशेष पैकेज का अध्ययन कर उसकी सच्चाई लोगों के बीच लाएं। लोगों को लगता कि बहुत राशि मिल गई, जबकि एेसा कुछ नहीं है। यह पहले से चल रही योजनाओं की रिपैकेजिंग और पैकेज पालिटिक्स है। कुल 1.25 लाख करोड रूपये के पैकेज में मात्रा 10368 करोड रूपये की राशि नई है। 

नीतीश ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी के पैकेज देने के अंदाज को देखकर एेसा लगा कि जैसे बिहार के लोगों के समर्थन के साथ-साथ उनके भरोसे की बोली लगा दी। मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में पटेल समुदाय के ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन पर कटाक्ष करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, अपने राज्य की सूरत को देख लें, बिहार की सूरत को क्या बदलेंगे।

नीतीश ने कहा कि पैकेज में राज मार्ग, पुल और रेल उपरी पुल की 41 परियोजनाओं में से 37 परियोजनाओं पर 47553 करोड रूपये की राशि 2007 से 2015 के बीच आवंटित की गयी थी, तो केवल 7160 करोड रूपये की अतिरिक्त राशि को ही तिल का ताड बनाया गया है। उन्होंने कहा कि विशेष पैकेज में 22500 किलोमीटर सड`क बनाने के लिए प्रधानमंत्रh ग्राम सडक योजना के तहत 13620 करोड रूपये देंगे। इस योजना के तहत तो सभी राज्यों को राशि मिलती है, तो बिहार के अधिकार को विशेष पैकेज क्यों बताया जा रहा है?

उन्होंने दावा किया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की योजनाओं पर विशेष पैकेज में 21476 रूपये खर्च किए जाने की बात कही गई है जिसमें से 21127 करोड रूपये पूर्व से स्वीकृत हैं एेसे में इसमें मात्रा नए 224 करोड रूपये की वृद्धि है जिसमें से 125 करोड रूपये के जमीनी आधार के बारे में कुछ भी अता-पता नहीं है। इसी तरह नागर विमानन की योजना पर 2700 करोड रूपये खर्च किए जाने का वादा किया गया है लेकिन उसके बारे में स्पष्टता नहीं है।

भागलपुर जिले में 500 करोड रूपये की लागत से विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा का स्वागत करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इस कार्य के लिए न तो स्थल का चयन हुआ और ना ही कोई डीपीआर बना है, एेसे में यह मानना बहुत ही कठिन है कि इस योजना का कुछ परिणाम भविष्य में जल्द ही दिखेगा। उन्होंने कहा कि बोधगया के आईआईएम के लिए पिछले साल ही 50 करोड रूपये की लागत से स्वीकृत हो चुका है, इसके लिए राज्य सरकार ने जमीन उपलब्ध करा चुकी है और वहां इस साल से कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है, पर उसे भी विशेष पैकेज में शामिल किया गया है। 

 

 

 

 

 

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