बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने अमेरिका में पुलिस के हाथों एक अश्वेत की मौत के बाद जारी व्यापक प्रदर्शन को पूरी दुनिया के लिए एक स्पष्ट संदेश करार दिया है। मायावती ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि जॉर्ज फ्लाॉड की पुलिस के हाथों मौत के बाद अश्वेतों की जिन्दगी की भी कीमत है, को लेकर अमेरिका में हर जगह विश्व के बड़े-बड़े शहरों में भी इसके समर्थन में जो आन्दोलन हो रहा है, वह पूरी दुनिया के लिए स्पष्ट संदेश है कि इंसान के जीवन की कीमत है और इसको सस्ता समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।
मायावती ने कहा कि खासकर भारत का अनुपम संविधान तो प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता, सुरक्षा एवं उसे आत्म-सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने की मानवीय गारंटी देता है जिस पर सरकारों को सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए। अगर इसपर ध्यान दिया जाता तो करोड़ों प्रवासी श्रमिकों को आज इतने बुरे दिन नहीं देखने पड़ते। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर विभिन्न राज्यों में तालमेल और सद्भावना बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए इसमें केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की।
‘केन्द्र का प्रभावी हस्तक्षेप जरूरी’
बसपा प्रमुख ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि कोरोना के बढ़ते मरीजों और मौत के मद्देनजर केन्द्र तथा देश के विभिन्न राज्यों के बीच तालमेल और सद्भावना के बजाय उनके बीच बढ़ता आरोप-प्रत्यारोप तथा राज्यों की आपसी सीमाओं को सील करना अनुचित और कोरोना के विरूद्ध संकल्प को कमजोर करने वाला है। केन्द्र का प्रभावी हस्तक्षेप जरूरी है।
अमेरिका में वीडियो वायरल होने के बाद भड़का आक्रोश
पिछले हफ्ते मिनेपोलिस में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें श्वेत पुलिसकर्मी डेरेक चॉविन, अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर घुटने के बल बैठा हुआ था। बाद में फ्लाइट की मौत हो गई। फ्लॉयड को एक फर्जी बिल के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चॉविन उसकी गर्दन पर 8 मिनट 46 सेकंड तक बैठा रहा। शिकायत के मुताबिक जब फ्लॉयड ने हिलना डुलना बंद कर दिया उसके बाद भी वह 3 मिनट तक उसकी गर्दन पर बैठा रहा। पास से गुजरने वाले किसी व्यक्ति ने इसका वीडियो तैयार किया था। डेरेक को हत्या के आरोप में शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मिनेपोलिस सहित तमाम शहरों में हिंसा भड़क उठी।