बिहार की राजनीति में उठे ज्वार-भाटे की लहर कार्यवाहक राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के पटना पहुंचते ही तेज हो गई है। जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने पर उतारू नीतीश कुमार का खेमा राज्यपाल के समक्ष शक्ति प्रदर्शन की तैयारियों में जुट गया है। वहीं नीतीश कुमार, शरद यादव और लालू प्रसाद ने भी समर्थन विधायकों के साथ मिलकर मांझी सरकार को बर्खास्त करने का मन बना लिया है। जनता दल (यू) ने मांझी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
उधर, मांझी मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों में जुट गए हैं जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कुछ नेताओं ने भी उनका खुलकर समर्थन किया है। मांझी को हटाने और समर्थन देने के मामले पर राजद में भी मतभेद है। राज्यपाल से मांझी के निकलने के कुछ देर बाद ही नए नेता नीतीश कुमार भी अपने 130 समर्थक विधायकों के साथ उनसे मिलने पहुंचे। समझा जाता है कि मांझी को जदयू के 22, राजद के आठ और भाजपा के 87 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
मांझी के लिए पद पर रहना मुश्किल
दल-बदल कानून के तहत मांझी को 111 में से दो-तिहाई विधायक तोड़ने होंगे। अभी बिहार विधानसभा में दस सीटें खाली हैं। इस लिहाज से उन्हें जरूरी बहुमत जुटाने के लिए 117 विधायकों का समर्थन पाना होगा। मांझी को अभी सिर्फ 14 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। राजद सांसद पप्पू यादव मांझी सरकार को बचाना चाहते हैं और इसके लिए वह राजद और निर्दलीय विधायकों के समर्थन में हैं। राजद के ही आठ विधयक उन्हें समर्थन देने को तैयार हैं लेकिन उनकी शर्त है कि अच्छे पदों के अलावा उन्हें विधासभा में भाजपा का टिकट दिया जाए।