दिल्ली में आप के 67 विधायक हैं और राज्यसभा की यहां तीन सीटें है जो आप की झोली में जा सकती है। फिलहाल आप में रहकर कुछ नेताओं को कुछ नहीं मिलने की आशंका सताने लगी है। पार्टी में अभी कई बड़े कद के नेता है जिन्हें उनके कद के मुताबिक कुछ नहीं मिल पाया है और अब राज्यसभा की सदस्यता ही एकमात्र सहारा बचा है।
हालांकि मौजूदा राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल अगले साल 12 जनवरी को खत्म हो रहा है लेकिन पार्टी के कुछ नेता अभी से अपनी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। बस फिर क्या था, नेताओं को निगम चुनावों की हार का बहाना मिल गया और सिखाने लगे नैतिकता का पाठ। बिना मांगे इस्तीफों का दौर भी चल गया।
पहले तो इस्तीफों को लेकर पार्टी सकते में आ गई और केजरीवाल पर भी मंथन करने का दबाव बढ़ा। मौके की नजाकत को देखते हुए केजरीवाल ने माफी भी मांग ली लेकिन कुमार विश्वास के खिलाफ अमानतुल्लाह खान के बयान ने आग में घी का काम किया और पार्टी दो खेमों में बंटती दिखाई देने लगी।
हालांकि पार्टी नेताओं को यह अच्छा नहीं लगा लेकिन केजरीवाल व पार्टी नेताओं ने धैर्य का परिचय देते हुए विश्वास को विश्वास में लेने पर भलाई समझी और पार्टी के राजनैतिक मामलों की समिति में लंबे मंथन के बाद अमानतुल्लाह खान पर कार्रवाई कर मामला सुलझा लिया।