उधर, समाजवार्टी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी गठबंधन की तरह हाथ बढ़ाने का संकेत दिया है। मायावती और अखिलेश के इस रुख को देखते हुए 2019 में सपा-बसपा के साथ आने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, मुलायम सिंह यादव ने इन कोशिशों को यह कहते हुए झटका दिया है कि सपा अकेले ही भाजपा को हराने में सक्षम है।
ताजा जानकारी के अनुसार, लखनऊ में हो रही बसपा की बैठक में मध्य प्रदेश के कई नेता भी मौजूद हैं। पार्टी सूत्रोंं का कहना है कि इस दौरान मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भी चर्चा हो रही है। संगठन में भी कुछ बदलाव करने की संभावना जताई जा रही है। हाल ही में अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने के बाद मायावती बसपा में और भी कई बड़े बदलाव कर सकती हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को करीब 22 प्रतिशत वोट तो मिले लेकिन उसकी सीटें घटकर 19 रह गईं। इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 19 प्रतिशत मत मिले थे लेकिन पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था। ऐसे में अब बसपा के लिए अपनेे वजूद और राजनीति को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। भाजपा जिस तरह गैर-जाटव दलितों और गैर-यादव ओबीसी को अपनी तरफ खींचने में जुटी है, वह बसपा और सपा के लिए खतरे की घंटी है।