कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आहूत 12 घंटे के ‘बंगाल बंद’ के खिलाफ एक याचिका बुधवार को खारिज कर दी, क्योंकि संबंधित याचिकाकर्ता को एक पूर्ववर्ती आदेश के माध्यम से अदालत के समक्ष जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने से हमेशा के लिए रोक दिया गया था।
उच्च न्यायालय में वकालत का दावा करने वाले याचिकाकर्ता संजय दास ने अपनी याचिका में अनुरोध किया था कि बंद को अवैध घोषित किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज कर दी, क्योंकि अदालत ने अपने पिछले आदेश में दास को ऐसी कोई भी याचिका दायर करने से हमेशा के लिए रोक दिया था। खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल थे।
उसने दास की पूर्ववर्ती जनहित याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा था कि उन्होंने (याचिकाकर्ता ने) उस याचिका में अपने बारे में ही गलत बयान दिया था। याचिकाकर्ता ने उस याचिका में पुलिसिया कार्रवाई से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए अधिकृत एक न्यायाधीश को बदलने का अनुरोध किया था।
पीठ ने उस याचिका के संबंध में दास पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को धमाकने का प्रयास किया है और अपने बारे में गलत बयान दिए हैं। इन सभी तथ्यों पर गौर करते हुए अदालत ने याचिका को 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया था।
भाजपा ने ‘नबान्न अभियान’ में भाग लेने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस की मंगलवार की कार्रवाई के विरोध में बुधवार को ‘बंगाल बंद’ का आह्वान किया जो आज सुबह छह बजे शुरू हो गया।