राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। आधी सजा काट लेने के हवाले से जमानत मिली है। अब वे बाहर आ सकते हैं। करीब साढ़े तीन साल से जेल में बंद लालू प्रसाद बेल बॉड की औपचारिकता के बाद बाहर होंगे। शनिवार को न्यायमूर्ति अपरेश सिंह की अदालत ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। एक लाख का मुचलका और दस लाख रुपये का जुर्माना अदा करना होगा। अदालत ने जमानत के दौरान देश के बाहर नहीं जाने, घर का पता और मोबाइल नंबर नहीं बदलने की हिदायत दी है। देश से बाहर जायेंगे तो उसके पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी। इसके पहले लालू प्रसाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील पेश की कि लालू प्रसाद ने इस मामले में आधी सजा पूरी कर ली है, उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
लालू प्रसाद पशुपालन घोटाला से जुड़े चार मामलों में सजायाफ्ता हैं। दो मामले चाईबासा, एक देवघर और एक दुमका कोषागार से जुड़ा है। दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजा की आधी अवधि नहीं काटने को लेकर उनके जमानत का मामला टल रहा था। नौ अप्रैल को यह अवधि पूरी हो गई है। लालू प्रसाद मूलत: रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के कैदी हैं। विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिरे होने और इलाज के नाम पर लंबे समय से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान ( रिम्स) रांची में एडमिट रहे। तबीयत बिगड़ने के कारण इसी साल 23 जनवरी को रिम्स, रांची से उन्हें एम्स, दिल्ली शिफ्ट किया गया। अभी वे वहीं हैं।
बेल बांड भरने के बाद सोमवार के बाद उनको जेल से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। रिहाई के लिए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक उन्हें यहां बुलाते हैं या दिल्ली से ही रिहाई होती है यह जेल अधीक्षक तय करेंगे। अक्टूबर 2020 में ही चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद को जमानत मिल गई थी। उसी समय उनके जेल से बाहर निकलने की उम्मीद जगी थी मगर दुमका कोषागार मामले में सजा की आधी अवधि जेल के भीतर नहीं काटने की वजह से रिहाई नहीं हो सकी थी। अभी डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत में तेज गति से सुनवाई चल रही है। अभियोजन पक्ष की ओर से बहस चल रही थी मगर कोविड के कारण अदालत ने फिजिकल सुनवाई पर रोक लगा रखी है। इस मामले में भी जल्द फैसला होना है।
झारखंड हाईकोर्ट ने 12 जुलाई 2019 को देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में आधी सजा काटने के आधार पर लालू को जमानत दी थी। इसके खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। मामला देवघर कोषागार से 90 लाख रुपये की अवैध निकासी का है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये के दो निजी मुचलके पर लालू को जमानत दी थी। सीबीआइ कोर्ट ने इस मामले में लालू प्रसाद को साढ़े 3 साल की सजा सुनाई थी। 10 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था।