छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीर सावरकर की जयंती से ठीक एक दिन पहले एक विवादित बयान दे डाला है। बघेल के इस बयान से बवाल मच गया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सावरकर ने सबसे पहले दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया, जिसे बाद में मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया। हालांकि उनके इस तरह के बयान पर भाजपा की तरहफ से कई तरह की प्रतिक्रिया आ रही हैं।
‘सावरकर की सोच को जिन्ना ने जमीन पर कामयाब होने दिया’
भूपेश बघेल ने कहा कि हिंदू महासभा के नेता विनायक दामोदर सावरकर ने धर्म आधारित हिंदू और मुस्लिम राष्ट्र की कल्पना की थी। नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि के अवसर पर राजीव भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की आजादी के साथ ही बंटवारा हुआ। इसके लिए लोग जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि हकीकत ये है कि वीर सावरकर की सोच को जिन्ना ने जमीन पर कामयाब होने दिया।
बघेल ने कहा कि सावरकर ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन जेल जाने के बाद माफी के लिए अंग्रेजों को दर्जनों पत्र लिखे। जेल से छूटने के बाद वे आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं हुए।
‘धार्मिक आधार पर सावरकर ने दो राष्ट्र की मांग रखी’
कार्यक्रम के बाद बघेल ने संवाददाताओं से कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू महासभा में सावरकर ने प्रस्ताव रखा था कि हिंदुस्तान आजाद हो तो दो राष्ट्र के रूप में हो। धार्मिक आधार पर उन्होंने दो राष्ट्र की मांग रखी और जिन्ना ने उसे क्रियान्वित किया। यह ऐतिहासिक तथ्य है और इसे कोई झुठला नहीं सकता।
रमन सिंह ने बघेल को दी इतिहास पढ़ने की सलाह
इस बीच बघेल के बयान को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उनको इतिहास पढ़ने की सलाह दी है। सिंह ने कहा है कि उन्हें (भूपेश बघेल को) इतिहास को फिर से पढ़ना चाहिए, उसको फिर से समझना चाहिए। इतिहास की समझ होनी चाहिए। विभाजन और विभाजन की पृष्ठभूमि क्या थी उस पर आज बहस की जरूरत नहीं है।
पूर्व सीएम ने कहा कि, 'कम ज्ञान में अधिक बोलना सही बात नहीं है। बड़ी शिकस्त के बाद आदमी सदमे में रहता है और इसी तरह की कुछ भी बातें कहता है। वीर सावरकर ने देश को नहीं बांटा। प्रत्येक भारतीय जानता है कि देश का विभाजन किसकी देन है। '
‘आम चुनाव में मिली हार से कांग्रेस पूरी तरह हताश है’
बघेल के इस बयान के बाद बीजेपी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी का कहना है कि आम चुनाव में मिली हार से कांग्रेस पूरी तरह हताश है और ये हताशा का परिणाम है कि इस तरह की बातें सामने आ रही हैं। बीजारोपण सावरकर ने किया था और उसे पूरा करने का काम जिन्ना ने किया।
स्कूली पाठ्यक्रम से वीर सावरकर के पाठ को हटाने का फैसला किया था
हाल ही में राजस्थान सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम से वीर सावरकर के पाठ को हटाने का फैसला किया था। कांग्रेस का मानना था कि स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर की खास भूमिका नहीं थी। हकीकत ये है कि उन्होंने तीन बार अंग्रेजों से माफी मांग ली थी। कांग्रेस का कहना था कि जब सावरकर अंडमान की सेलुलर जेल में सजा काट रहे थे तो उस वक्त उन्होंने अंग्रेजी हुकुमत से अपील की कि अगर उन्हें माफ कर दिया जाए तो वो सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार हैं। लेकिन बीजेपी के विरोध और जनमत के सामने कांग्रेस सरकार को झुकना पड़ गया और उन चैप्टर को किताबों में वापस लेना पड़ा।