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राहुल गांधी पर न्यायालय के फैसले से प्रतिशोध की केंद्र की राजनीति का पर्दाफाश: शिवसेना (यूबीटी)

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को दावा किया कि 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता...
राहुल गांधी पर न्यायालय के फैसले से प्रतिशोध की केंद्र की राजनीति का पर्दाफाश: शिवसेना (यूबीटी)

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को दावा किया कि 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश ने केंद्र सरकार की ‘‘प्रतिशोध की राजनीति’’ का पर्दाफाश कर दिया है।

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि राहुल गांधी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

मराठी दैनिक अखबार में प्रकाशित संपादकीय में दावा किया गया है कि मोदी उपनाम संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में गुजरात में सूरत की एक अदालत ने दोषी ठहराया तथा उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दो साल की सजा सुनायी। दो साल या उससे अधिक की सजा होने वाले सांसद स्वत: संसद की सदस्यता से अयोग्य हो जाते हैं। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता सोमवार को बहाल की गयी।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने को लेकर निचली अदालतों के फैसलों का गहन अध्ययन किया और फिर अपना निर्णय दिया…अदालत के फैसले ने केंद्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति का पर्दाफाश कर दिया है।’’

इसमें कहा गया है कि यह साफ है कि राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक विरोधियों को कड़ी टक्कर देंगे और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘‘निरंकुश’’ सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।’’

संपादकीय में दावा किया गया, ‘‘पूर्णेश मोदी को आगे करके राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया। उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ता के झूठ का पर्दाफाश किया गया।’’ इसमें दावा किया गया है कि सूरत अदालत का उद्देश्य केवल राहुल गांधी को संसद सदस्यता से अयोग्य ठहराना था।

अखबार में कहा गया है कि न तो सूरत की अदालत और न ही गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को दो साल की सजा दिए जाने के पीछे की वजह बतायी है। उच्चतम न्यायालय ने इस पर उंगली उठायी और अपना फैसला दिया।

संपादकीय में यह भी दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौ साल पहले लोकसभा की सीढ़ियों पर माथा टेककर संसद में प्रवेश करने का ‘‘नाटक’’ किया था लेकिन तब से न्याय, सत्य, विवेक और संविधान हर रोज परास्त हो रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, ‘‘गुजरात की धरती से सत्य, न्याय और नैतिकता का दमन किया गया लेकिन उच्चतम न्यायालय मूकदर्शक नहीं बना रहा।’’

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