नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के ड्राफ्ट पर शिवसेना ने केंद्र सरकार का साथ दिया है। लेकिन यह सवाल भी किया कि असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का साहस दिखाएगी? भाजपा के सहयोगी दल ने कहा कि जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है उन्हें बाहर निकाला जाना चाहिए। इतना ही नहीं कश्मीर से भी घुसपैठियों को खत्म किया जाना चाहिए
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि एनआरसी मतलब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करना जिस तरह हिम्मत का और राष्ट्रीय कार्य है, उसी तरह संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर राष्ट्रीय तेवर दिखाना भी उतना ही हिम्मत का राष्ट्रीय कार्य है। इस अनुच्छेद से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त है।
संपादकीय में लिखा गया है कि विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालने का काम देशभक्ति का ही है और ऐसी हिम्मत दिखाने के लिए हम केंद्र सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं। विदेशी नागरिक फिर चाहे वे बांग्लादेशी हों अन्यथा श्रीलंका के, पाकिस्तानी हों या म्यामांर के रोहिंग्या मुसलमान, उन्हें देश से बाहर निकालना ही होगा।
सामना में लिखा गया है कि असम में जो कुछ हो रहा है, वह जम्मू-कश्मीर में भी हुआ होता तो देश के घर-घर पर हिंदुत्व का भगवा ध्वज लहराने के लिए जनता मुक्त हो गई होती। राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल सिर्फ असम के 40 लाख घुसपैठियों तक सीमित नहीं है। कश्मीर की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है तथा पाकिस्तान में इमरान खान का मुखौटा धारण कर फौजी शासन आने से खतरा और अधिक बढ़ गया है।
शिवसेना ने केंद्र से सवाल किया कि असम के 40 लाख विदेशी नागरिकों ने उस राज्य के भूगोल, इतिहास और संस्कृति को मार डाला है। यही कश्मीर के बारे में भी हो रहा है। असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में घर वापसी कराने की हिम्मत दिखाएगी? उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है कि यह सवाल प्रखर हिंदुत्व का नहीं बल्कि असम के घुसपैठियों जितना ही राष्ट्रीय सुरक्षा तथा हिंदू संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है।
सामना ने लिखा है कि कश्मीर से हिंदुओं का संपूर्ण खात्मा आतंक के बल पर हुआ है। इस आतंक को खत्म कर मोदी सरकार को कश्मीरी पंडितों के लिए रेड कार्पेट बिछाना चाहिए था। पर रेड कार्पेट बगल में रह गये, उनके पैरों तले की दरी भी खींच ली है। शिवसेना का कहना है कि सत्ता में आते ही अनुच्छेद 370 रद्द करेंगे, कश्मीर को बंधन मुक्त करेंगे, ऐसी बात इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या मनमोहन सिंह ने नहीं की थी। वे सभी कमजोर मन के थे। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तानी जनता को ऐसा वचन दिया था कि सत्ता में आते ही अनुच्छेद 370 रद्द कर कश्मीर पर सिर्फ तिरंगा लहराएंगे।
असम में एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी होने के बाद राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल, दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
असम एनआरसी में करीब 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं। बेहद लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार एनआरसी पूर्वोत्तर राज्य में अवैध तरीके से रहने वालों की पहचान करने के लिए तैयार की गई है।