पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में यह भी कहा कि जदयू नेता नीतीश कुमार को कई कारकों की वजह से उल्लेखनीय सफलता मिली है जिसमे उनका साफसुथरा चुनाव प्रचार अभियान और ईमानदार छवि प्रमुख है।
केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकारों का हिस्सा शिवसेना ने कहा, दिल्ली विधानसभा चुनावों को हल्के तौर पर लेने वालों को बिहार के नतीजों को गंभीरता से लेना होगा क्योंकि यह नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच सीधी लड़ाई थी। राजनीतिक प्रभाव, धन का उपयोग और कई घोषणाएं करने के बावजूद भाजपा 60 सीटें भी नहीं जीत सकी जबकि उसके सहयोगी दल तो जमीन में 20 फुट नीचे धंस गए।
पार्टी ने कहा कि महागठबंधन की जीत का एक कारण यह भी है कि नीतीश कुमार ने झूठ नहीं बोला और लोगों को भरोसे में लेने के बाद काम किया। शिवसेना ने कहा, उन्होंने झूठे वादे नहीं किए, गुंडागर्दी रोकी और कानून व्यवस्था बहाल की। उन्होंने धन बल और सत्ता का बल नहीं दिखाया। वह अपनी सादगी के साथ बढ़ते गए और चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने असंतुलित भाषा का उपयोग भी नहीं किया। इन सभी बातों का उनकी जीत में योगदान रहा।
भाजपा को तीखी झिड़की लगाते हुए मुखपत्र में कहा गया है ताकत और धन का उपयोग कर केवल एक ही बार चुनाव जीता जा सकता है जैसा कि आप लोगों को एक ही बार मूर्ख बना सकते थे। हमें पता नहीं कि नीतीश कुमार की जीत के बाद क्या पाकिस्तान में पटाखे फूटे लेकिन बिहार में निश्चित रूप से पटाखे फूट रहे हैं। पार्टी ने कहा कि चुनाव के नतीजों से यह संदेश मिलता है कि विनम्रता दिखावे के लिए उपयोग करने वाला हथियार नहीं है बल्कि इससे खुद का बचाव किया जा सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार में प्रचार के दौरान कहा था कि अगर गलती से चुनावों में भाजपा हार जाती है तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे।
पिछले साल लोकसभा चुनावों में मोदी के हाथों करारी हार के बाद जदयू, राजद और कांग्रेस ने बिहार में हाथ मिला लिया था और इसके नतीजे में महागठबंधन की शानदार जीत हुई और इन तीनों दलों ने 178 सीटें हासिल की हैं। बिहार विधानसभा चुनावों में राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली हैं। भाजपा नीत राजग केवल 58 सीटें ही जीत पाया जिसमें 53 भाजपा की हैं।