इससे पहले उन्होंने महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के नोटिस पर होने की धमकी दी थी। दोनों दलों के बीच महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के चुनाव में गठबंधन टूट चुका है। मुंबई महानगरपालिका की सत्ता पर करीब 15 वर्षों से काबिज शिवसेना को इस बार भाजपा चुनौती देने में जुटी हुई है।
उद्धव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि दिल्ली में बैठे लोग मुंबई को ही देख रहे हैं।
भाजपा के साथ पैदा हुई खटास पर उद्धव ने कहा कि एक समय भाजपा के अटल, आडवाणी, सुषमा स्वराज, प्रमोद महाजन जैसे नेताओं के साथ बालासाहब ठाकरे उठते-बैठते थे।
अब भाजपा पप्पू कालानी (उल्हासनगर के एक बदनाम नेता), नारायणदत्त तिवारी, मुफ्ती मोहम्मद सईद को साथ लेकर चल रही है। कल वह दाऊद को भी अपने साथ ले सकती है। अभी तक तो भाजपा के मंच पर साधू-संत आते हैं। लेकिन आने वाले दिनों में गुंडे-बदमाश दिखाई देंगे। ऐसी स्थिति में उससे दूरी बनाना ही बेहतर है। उनके इस रुख से दोनों दलों में टकराव की आशंका बढ़ गई है।
बेहतर रिश्ते को याद करते हुए शिवसेना प्रमुख ने कहा कि जब भाजपा के सिर्फ दो सांसद चुनकर आए थे तब बालासाहब ठाकरे ने हिंदुत्व के एजेंडे पर उनका साथ दिया था। अपने लिए सिर्फ महाराष्ट्र रखा और पूरा देश उसके लिए छोड़ा था। उस समय भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोग बालासाहब के मुरीद थे। 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहाने को कुछ लोग (भाजपा के नेता) जब काला दिन बताकर भागे थे तब बालासाहब ने ढांचा ढहानेवालों की पीठ ठोंकी थी।