शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि जो लोग कहते हैं कि नोटबंदी के निर्णय के कारण लोगों ने भाजपा को वोट दिया है, वे मूर्ख हैं। अगर यह मामला है तो कम से कम पार्टी के 100 उम्मीदवार परिषद के प्रमुख बनते जबकि ऐसा नहीं हुआ।
राजग सहयोगी ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा प्रचार अभियान का नेतृत्व करने को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे या पार्टी का कोई भी नेता चुनाव प्रचार में शामिल नहीं रहा।
शिवेसना के अनुसार हम अपने कार्यकर्ताओं में विश्वास जगाना चाहते हैं कि वे धन आधारित प्रचार के दबाव के खिलाफ लड़ सकते हैं जो हम साबित करने में सफल रहे। हमारी जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि आवश्यक संख्या हासिल करने के लिए हम किसी अनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं हुए। यह पार्टी की जीत को पवित्र बनाता है।
शिवसेना ने कहा, जिन दलों के खिलाफ हमने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उनके साथ गठबंधन कर हम अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं तोड़ना चाहते।