शिवसेना के अनंत गीतेे वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं। शिवसेना एक और कैबिनेट मंत्री की मांग कर रही थी। इसके अलावा एक राज्य मंत्री का पद भी मांगा था। शिवसेना के अनुरोध पर पीएम मोदी ने संभावितों की सूची में शिवसेना के अनिल देसाई का नाम शामिल किया था। एक और कैबिनेट मंत्री की मांग से पीएम मोदी ने इनकार कर दिया। नतीजन शिवसेना शपथ ग्रहण्ा समारोह में श्ाामिल नहीं हुई। उसने इसका बहिष्कार कर दिया। शिवसेना के समरोह से अलग रहने के पीछे एक और वजह यह है कि शिवसेना अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका का चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं भाजपा भी बीएमसी के चुनाव में अकेले उतरने की तैयारी कर ली है। भाजपा प्रमुख अमित शाह ने पार्टी द्वारा अकेले चुनाव लडऩे के मसले पर 13 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक भी कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में चुनाव को अब 8 महीने बचे हैं। बीएमसी ने हाल में 2016-17 के लिए 37,052 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। भारत के सबसे संपन्न निकाय का इतना बड़ा बजट भी शिवसेना और भाजपा को अकेले मैदान में उतरने के लिए उत्साहित कर रहा है। वर्तमान में ये दोनों पार्टियां इस निकाय को दो दशकों से भी अधिक समय से चला रही हैं। इस तरह अगर आगामी दिनों में इन दोनों दलों के बीच और दूरी बढ़े तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। शिवसेना भाजपा से अलग होने के पूरे मूड में है। वह कोई अपने को अलग दिखाने का काेेई मौका नहीं छोड़ रही है। शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होना इसी का एक हिस्सा कहा जा सकता है।
एक भाजपा विधायक ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, 'वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन टूटने के बाद मुंबई और शेष महाराष्ट्र दोनों में शिवसेना को मात दी थी। तब से पार्टी ग्रेटर मुंबई में विकास प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए कई निर्णय लिए हैं और वह खासकर शिवसेना द्वारा उछाले जा रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष का निशाना बनना नहीं चाहेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले ही इस संबंध में जांच के आदेश दे चुके हैं और वह पार्टी के विकास एजेंडे को भुनाना चाहते हैं।' शिवसेना अध्यक्ष उद्घव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले एक विधायक ने कहा कि पार्टी बीएमसी चुनाव अकेले लडऩे के लिए पहले से ही तैयार है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना यह नहीं भूली है कि किस तरह से भाजपा ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आखिरी समय में गठबंधन तोड़ दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव के अनुभव को दोहराने से बचने के लिए शिवसेना ने सभी 227 वार्डों में अपने उम्मीदवारों के चयन में गंभीरता दिखाई है। पार्टी मजबूत उम्मीदवारों के साथ भाजपा का प्रभावी तरीके से मुकाबला करेगी।'