भाजपा के साथ गठबंधन कर एक तरह से शिवसेना को नुकसान ही हुआ। अपने जन्मदिन से पहले दिए साक्षात्कार के आखिरी में उद्धव ने भाजपा के साथ जाने पर नुकसान की बात की। उद्धव ठाकरे आगे कहते हैं कि, भाजपा के साथ गठबंधन करना 25 साल पहले की जरूरत थी। लेकिन इससे शिवसेना को नुकसान ही उठाना पड़ा। बिना गठबंधन शिवसेना अगर लड़ती तो आज तस्वीर कुछ और होती।
ठाकरे ने भाजपा को यह चेतावनी दी कि अगर सत्ता का इस्तेमाल कर शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश भाजपा करेगी तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। भाजपा अगर आगामी महानगरपालिका चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ना चाहती है तो शिवसेना भी उसके लिए तैयार है। उल्लेखनीय है कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन देश का सबसे पुराना राजनीतिक गठजोड़ है। जो दोनों दलों के विपक्ष में होते हुए बना था। इस गठजोड़ को बनाने में दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका थी।
गुजरे दिनों में इस गठबंधन की केंद्र और राज्य में सरकारें बनी थी। महाराष्ट्र में 1995 में बनी सरकार का नेतृत्व शिवसेना के पास था। और उसे केंद्र में भी अहम मंत्रालय मिले थे। लेकिन 2014 में हुए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई। आंकड़ों के हिसाब से शिवसेना भाजपा के सामने दोयम भूमिका में आ चुकी है।