पत्र के संपादकीय में कहा गया है कि गोरक्षा के नाम पर शुरू हुए उत्पात की तपिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच रही है। लोग उनकी भी आलोचना कर रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि प्रधानमंत्री की कड़ी चेतावनी के बाद भी उत्पात रुक नहीं रहे हैं। लोगों ने इसे व्यवसाय बना लिया है। शिवसेना ने कहा कि देश भर में लगातार बीफ ले जाने के शक में मुस्लिमों पर हमले किए जा रहे हैं और इनकी जान ली जा रही है।
संपादकीय में कहा गया है कि पाकिस्तान भी चाहता है कि भारत में लोग गोरक्षा के नाम पर विभाजित रहें। शिवसेना का मानना है कि जब सीमा पर तनाव फैला हुआ है ऐसे में देश में आंतरिक झगड़े से राष्ट्रीय एकता प्रभावित हो सकती है। संपादकीय में प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में गोरक्षकों के हंगामे का जिक्र करते हुए सवाल उठाया गया है कि जब इस राज्य के लोग अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकी हमले में मारे गए थे तब ये (गोरक्षक) कहां थे? ऐसे लोगों के लिए हथियार उठाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए और इन्हें कश्मीर में जाकर बदला लेना चाहिए।
शिवसेना ने कहा कि गोरक्षकों को हर स्तर पर साहस दिखाना चाहिए। अगर धर्म के नाम पर गाय की रक्षा जरूरी है तो धर्म के नाम पर देश भी महत्वपूर्ण है। संपादकीय में कहा गया है कि ये गोरक्षक मोदी की राह में कांटे पैदा कर रहे हैं। ये उनकी चेतावनी के बाद भी अपनी करतूत से बाज नहीं आ रहे हैं। इतना ही नहीं 40-50 लोगों के समूह द्वारा किसी की पिटाई के बाद भी कानून का मूक दर्शक बने रहना दुभार्ग्यपूर्ण है। (एजेंसी)