सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कल शुक्रवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है, वहीं सपा की राज्य कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को होगी। इस बैठक में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और महासचिव रामगोपाल यादव के भी शामिल होने की संभावना है। कुनबे में छिड़ी वर्चस्व की जंग में फिलहाल अपने भाई शिवपाल के साथ खड़े दिख रहे मुलायम ने मौजूदा सूरतेहाल को लेकर पार्टी नेताओं तथा उनके क्षेत्र की जनता की नब्ज टटोलने के लिए आगामी 24 अक्तूबर को विधायकों और मंत्रियों की बैठक भी बुलाई है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बैठक के बाद मुलायम आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोई सख्त फैसला ले सकते हैं। इधर, परिवार में रार बढ़ने के बीच पार्टी के विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह ने कल सपा मुखिया को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी। सिंह ने कल सपा मुखिया को लिखे पत्र में पार्टी के प्रान्तीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया था कि शिवपाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जलन रखते हैं। अपने चार पन्ने के पत्र में उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर यहां तक कह दिया था कि अखिलेश के खिलाफ साजिश में मुलायम की पत्नी, बेटा और बहू भी शामिल है और शिवपाल सपा मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा हैं।
सिंह ने पत्र में आरोप लगाया कि अखिलेश के खिलाफ षड्यंत्र वर्ष 2012 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के फैसले के बाद से ही शुरू हो गया था। उस वक्त शिवपाल ने इस निर्णय को रुकवाने की भरसक कोशिश की थी। उसके बाद से ही शिवपाल की निजी महत्वाकांक्षा अखिलेश के पीछे पड़ी है। उन्होंने सपा मुखिया पर एकतरफा बातें सुनकर कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए अनुरोध किया कि वह सपा के संरक्षक बन जाएं और अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दें। सिंह ने सपा मुखिया की पसंदगी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जहां गायत्री प्रजापति जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री मुलायम के पसंदीदा हैं, वहीं एस. आर. एस. यादव और नरेश उत्तम जैसे पार्टी के प्रति समर्पित लोगों को किनारे कर दिया गया। सपा के विधान परिषद सदस्य आशु मलिक ने उदयवीर सिंह द्वारा उठाये गए सवालों पर हैरत जाहिर करते हुए कहा है कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि एक दिन कुछ लोग जोश में इस कदर होश खोकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पर उंगलियां उठाएंगे। अपने फेसबुक पेज पर मलिक ने लिखा है किसी भी बाहरी व्यक्ति को परिवार के किसी भी मामले में दखल नहीं देना चाहिए।