मोदी ने कहा कि अगर वह इस्तीफा नहीं देते, तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। सुशील मोदी ने कहा कि गांवों का 'विजन डॉक्यूमेंट-2025 ' बनाने की योजना का एक साल के बाद भी कोई अता-पता नहीं है। प्रशांत किशोर ने आठ महीने में क्या सलाह दी? बिहार के हित में उनकी कौन सी सलाह उपयोगी रही इस पर जांच की जाए। मोदी ने कहा कि जब वे बिहार को परामर्श ही नहीं दे पा रहे तो अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे देते?
प्रशांत किशोर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए सुशील मोदी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट बनाने वाली कंपनी को काम पूरा किए बगैर 9.31 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। जिस कंपनी को विजन डॉक्यूमेंट बनाने का काम दिया गया उस कंपनी का संबंध बिहार सरकार के परामर्शी और मुख्यमंत्री सलाहकार प्रशांत किशोर से है। परामर्शी होने के नाते वे बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य भी हैं। लेकिन शासी निकाय की 31 मई की हुई बैठक से वे अनुपस्थित थे। यही नहीं, पिछले चार माह से किशोर बिहार से अनुपस्थित हैं। मोदी ने आरोप लगाया कि 19 जनवरी को परामर्शी नियुक्त होने के बाद प्रशांत एक-दो बार ही बिहार आए हैं।
उत्तर प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस से भारी रकम लेकर सलाहकार का दायित्व निभा रहे हैं। पिछले दिनों आंध्र में वाइएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगमोहन रेड्डी से भी 2018 के चुनाव के लिए सलाहकार बनने का करार किया है।
इधर जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि विजन डाक्यूमेंट पर सवाल उठा रहे सुशील मोदी को इतना परेशान नहीं होना चाहिए। उन्हें जल्द ही विजन डाक्यूमेंट मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर भाजपा के लिए काम करते थे, तो वह बहुत अच्छे थे। आज जब वह नीतीश कुमार और उनकी सहयोगी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, तो वह बेकार हो गए। दरअसल, प्रशांत किशोर के नाम से ही भाजपा अब घबराने लगी है।