शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया, राम मंदिर मुद्दे से लेकर समान नागरिक संहिता तक, महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक और हिंदुत्व से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ नीति तक...भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद क्या बदला है? लोग जवाब मांग रहे हैं। सरकार की नीति का जनता द्वारा किया जाने वाला ऑडिट (लेखा जोखा) सबसे महत्वपूर्ण होता है।
पार्टी ने कहा, जो गलतियां कांग्रेस ने की थीं, उन्हें दोहराया जा रहा है और हम लोगों के रोष को आमंत्रित कर रहे हैं। जो सवाल मुंबई आतंकी हमलों, करगिल युद्ध के बाद पूछे जा रहे थे, वही सवाल अब पठानकोट की घटना के बाद भी पूछे जा रहे हैं। शिवसेना ने भाजपा को यह भी याद दिलाया कि आपातकाल के बाद वह चुनाव में अच्छे से जीती थी लेकिन पार्टी (जनता पार्टी, जिसमें तत्कालीन जनसंघ का विलय हो गया था) के भीतर की खींचतान दो साल से भी कम समय में कांग्रेस के पुनरूत्थान की वजह बन गई। सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल ने कहा, आपातकाल के बाद कांग्रेस का पतन हो गया था। इंदिरा गांधी और (उनके बेटे) संजय गांधी भी हार गए थे। ऐसा लगता था कि कांग्रेस हमेशा के लिए मिट गई है। लेकिन लोगों ने जिस दल के हाथ में सत्ता की कमान सौंपी थी, उन्होंने राजनीतिक अराजकता को आमंत्रित कर लिया।
संपादकीय में कहा गया, पार्टी के बीच के झगड़ों और एक दूसरे की टांग खिंचाई के कारण कांग्रेस महज 22 माह में दोबारा जीवित हो गई थी। शिवसेना ने कहा कि उस समय लोगों के साथ धोखा हुआ था। उस समय के साजिशकर्ताओं में से कुछ अब भी दिल्ली में मौजूद हैं। संपादकीय में कहा गया कि लोगों पर वादों के जो फूल बरसाए गए थे, उन्हें कुचला जा रहा है और इससे लोग आहत हो रहे हैं।