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ममता 'शेरनी', ईवीएम में छेड़छाड़ किए बिना कम्युनिस्टों को उखाड़ फेंकाः उद्धव

केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगहों पर सरकार का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा...
ममता 'शेरनी', ईवीएम में छेड़छाड़ किए बिना कम्युनिस्टों को उखाड़ फेंकाः उद्धव

केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगहों पर सरकार का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा पर ‌निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी से हुई मुलाकात के बहाने अब उन्होंने भाजपा को जमकर सुनाई है। पार्टी के मुखपत्र सामना में ‘हां ममता से मिला’ शीर्षक से लिखे लेख में उन्होंने न केवल पश्चिम बंगाल की सीएम की जमकर तारीफ की है, बल्कि मोदी-नवाज की मुलाकात और जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा है।

उद्धव ने लिखा है, ‘हां, हमने ममता बनर्जी से मुलाकात की। हमारी मुलाकात से अगर किसी के पेट में मरोड़ शुरू हुई तो यह उनका दोष है। ममता वाजपेयी के समय में एनडीए में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं, वे सरकार में भी थीं। कुछ मामलों में ममता और शिवसेना के विचार नहीं मिलते। लेकिन, पश्चिम बंगाल में उन्होंने कम्युनिस्टों को उखाड़ फेंका, जिनके खिलाफ शिवसेना हमेशा लड़ती रही है। शेरनी ने वह कर दिखाया जो कांग्रेस और भाजपा नहीं कर पाई। उन्होंने 25 साल के लंबे शासन को समाप्त किया। जनता ने भरोसे के साथ उन्हें जिम्मेदारी दी है। लेकिन, अब विकास कार्यों में रुकावट डालने और पश्चिम बंगाल में वित्तीय संकट पैदा करने की कोशिश की जा रही है। एक राज्य को सिर्फ इसलिए पीछे धकेलना सही नहीं है, क्योंकि वह आपके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।‘

उद्धव ने कहा है कि गोधरा दंगे को लेकर वाजपेयी सरकार से इस्तीफा देने वाले रामविलास पासवान आज केंद्र में मंत्री हैं। लेकिन, कश्मीरी पंडित असहाय हैं। अयोध्या में राम मंदिर अब तक नहीं बना है। ममता के साथ मेरी मुलाकात पर सवाल उठाने वे लोग हैं जो पाकिस्तान और अलगाववाद की समर्थक मेहबूबा मुफ्ती के साथ जम्मू-कश्मीर में सत्ता की मलाई खा रहे हैं।

ममता और उद्धव की मुलाकात गुरुवार को मुंबई में हुई थी। जनवरी में कोलकाता में होने वाले बंगाल बिजनेस समिट से पहले निवेशकों और उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए ममता मुंबई गई थीं। इस मुलाकात के बाद ‌से सियासी गलियारे में दोनों दलों के साथ-साथ आने की अटकलें लगाई जा रही है। 

कुछ लोग इस मुलाकात को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन खड़ा करने की कवायद से जोड़ कर देख रहे हैं। ममता एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे न केवल एनडीए के सहयोगी हैं बल्कि मोदी सरकार और महाराष्ट्र सरकार में उनके मंत्री भी हैं। पिछले साल जब उद्धव ठाकरे ने नोटबंदी का विरोध किया था तब ममता बनर्जी ने उद्धव को फोन भी किया था। वहीं, जब नोटबंदी के खिलाफ ममता ने मोर्चा निकाला तो उद्धव ने उसका समर्थन किया था। उस समय उद्धव ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री एनसीपी के मुखिया शरद पवार से मिल सकते हैं तो वे ममता बनर्जी से बात क्यों नहीं कर सकते।

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