कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद कांग्रेस को जीत मिली मगर सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाए जाने के निर्णय के उपरांत कई नेताओं की भौहें भी टेढ़ी हुई हैं। प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने पर कांग्रेस विधायक जी परमेश्वर ने शुक्रवार को कहा कि किसी किसी मोड़ पर "त्याग" आवश्यक होता है। उन्होंने कहा, "यह ठीक है। हम सभी को कभी न कभी त्याग करना पड़ता है।"
गौरतलब है कि गुरुवार को कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री एवं डीके शिवकुमार को उनका डिप्टी चुने जाने की घोषणा की। बता दें कि शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन 20 मई को होना है। रिपोर्ट्स के अनुसार डिप्टी पद नहीं मिलने पर लिंगायत नेता एमबी पाटिल और दलित नेता जी परमेश्वर निराश थे। इसी मुद्दे पर एएनआई से बात करते हुए जी परमेश्वर ने कहा, "लिंगायतों, दलितों, वोक्कालिगाओं, एसटीएस, मुस्लिमों... जिसने भी वोट दिया हो, इन सभी लोगों को उनका उचित हिस्सा दिया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि हमारी पार्टी ऐसा ही करेगी। वे इन सभी समुदायों को उचित सम्मान देंगे और सत्ता सभी समुदायों के साथ साझा की जाएगी।" वहीं, लिंगायत समुदाय द्वारा डिप्टी मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग पर एमबी पाटिल ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि कांग्रेस सभी समुदायों को बराबर सम्मान देगी। पाटिल ने कहा, "भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले लिंगायत नेताओं को जनता ने अस्वीकार किया, इसीलिए अब लोगों को कांग्रेस से अधिक उम्मीदें हैं। मुझे विश्वास है कि कांग्रेस समुदायों को बराबर साझेदारी का मौका देगी।"
उधर, कर्नाटक कांग्रेस विधायक एवं पूर्व राज्य मंत्री टीबी जयचंद्र से जब एमबी पाटिल और जी परमेश्वर की नाराजगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला आलाकमान का है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि अन्य चीजें परेशान करेंगी।" बता दें कि अनुभवी सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसमें कोई दोराय नहीं कि कुर्सी संभालने के साथ ही उनके पास "घोषणापत्र" के वादों को पूरा करने का दबाव भी होगा।