पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम से चुनाव हार गई थीं। टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें हराया था। ममता ने अपनी हार को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई 15 नवंबर तक टाल दी है। सीएम बनने के छह महीने के भीतर ममता को विधायक बनना जरूरी है। सुनवाई टलने से यह भी तय हो गया है कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए ममता बनर्जी को किसी और सीट से चुनाव जीतना होगा। ममता के पास 2 महीने 25 दिन बचे हुए हैं। वहीं, चुनाव आयोग ने राज्य में उप-चुनाव करवाए जाने को लेकर कई दलों को पत्र लिखा है।
बता दें कि टीएमसी चुनाव आयोग से बार-बार खाली पड़ी सीटों पर उपचुनाव कराने के लिए कह रही है। ममता बनर्जी को सीएम बने रहने के लिए 5 नवंबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनना होगा। टीएमसी को डर है कि कोरोना महामारी के चलते अगर उपचुनाव में देर हुई तो ममता को अपने पद से इस्तीफा देना होगा।
ममता की पारंपरिक सीट भवानीपुर से टीएमसी के शोभनदेव चट्टोपाध्याय चुनाव जीता था। उन्होंने ममता बनर्जी के लिए यह सीट छोड़ दी है। ममता बनर्जी वर्ष 2011 से इस सीट पर दो बार विधायक बन चुकी हैं। शुभेंदु अधिकारी जब टीएमसी छोड़कर बीजेपी में चले गए तो ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। ममता करीब दो हजार वोटों से चुनाव हार गई थीं। ममता ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने बीजेपी के दबाव में गलत चुनाव नतीजा घोषित किया है। ममता बनर्जी को 32 साल में पहली बार चुनावी समर में हार का सामना करना पड़ा है। नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद ही टीएमसी ने एक बार फिर से मतगणना कराने की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर दिया था।
पश्चिम बंगाल में होने वाले उप-चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने राज्य की सभी पार्टियों को पत्र लिखा है। आयोग ने उप-चुनाव करवाए जाने पर उनकी राय मांगी है। सभी दलों को अपनी राय 30 अगस्त तक चुनाव आयोग को बतानी होगी। आयोग ने कहा है कि जैसा कि आपको पता है कि साल 2021-22 में पांच राज्यों में चुनाव और उपचुनाव बाकी हैं। ऐसे में आयोग उनसे उनकी राय के बारे में जानना चाहता है।