जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ऐलान किया है कि जब तक केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा हटा उसे पूर्ण राज्य में तब्दील नहीं कर देती तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने का विरोध किया। साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का ये फैसला उनके लिए अपमानजनक है।
बता दें कि पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा लिया गया था। इसके बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। साथ ही उमर अब्दुल्ला को भी 8 महीने तक नंजरबंद रखा गया था।
हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि वह अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए काम करना जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्य की विधानसभा का नेता रहा हूं, कभी ये सबसे मजबूत विधानसभा थी जो अब यह देश की सबसे शक्तिहीन विधानसभा बन चुकी है इसलिए मैं इसका सदस्य नहीं बनूंगा।’’ उमर अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि यह कोई धमकी या ब्लैकमेल नहीं है, यह किसी निराशा का इजहार भी नहीं है, यह वो सामान्य स्वीकारोक्ति है कि जिसमें वो किसी कमजोर विधानसभा, या केंद्रशासित प्रदेश की विधानसभा का हिस्सा बनना नहीं चाहते। उमर ने खुद को लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विपक्ष में विश्वास रखने वाला नेता बताते हुए अपनी इस नई रणनीति का एलान किया।
विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर चर्चा की है क्या, इस बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है और यह मेरा फैसला है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा परिसीमन कवायद के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस पिछले साल पांच अगस्त के बाद के घटनाक्रम और फैसलों को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी विकल्पों को खंगाल रही है और आगे भी यही करेगी।’’ संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के मुखर आलोचक रहे उमर ने कहा कि विशेष दर्जा खत्म करने के लिए कई कारण गिनाए गए थे, उनका दावा था कि किसी भी तर्क की कोई जांच नहीं की गयी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने पिछले साल पांच अगस्त को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को निरस्त किए जाने की आलोचना की थी और पहले ही कह दिया था कि उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय में इसका विरोध करेगी।
मेरी पार्टी ने हजारों कार्यकर्ताओं को खो दिया'
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू और कश्मीर ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लिया। देश के विकास में साझा किया गया, लेकिन इसके साथ किया गया वादा पूरा नहीं किया गया। 370 को हटाना "लोकप्रिय बात" हो सकती है, लेकिन एक राष्ट्र की संप्रभु प्रतिबद्धताओं पर वापस जाना सही काम नहीं था।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, "कई मुख्यधारा के राजनेताओं को एक साल पहले गिरफ्तारी में रखा गया था और कई अवैध गिरफ्तारी के तहत। कई अभी भी हिरासत में हैं। मेरी पार्टी ने हजारों कार्यकर्ताओं को आतंकवादी हिंसा में खो दिया है, क्योंकि हमने अलगाववादी राजनीति का विरोध करते हुए मुख्यधारा में आने का फैसला किया है।' उन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पिछले साल 4-5 अगस्त को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया था। जिसके बाद 24 मार्च को 232 दिनों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।