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राजद की मांग, "बजट पर पुनर्विचार कर इसे आम आदमी के अनुरूप बनाया जाए"

बजट बनाने से पूर्व सरकार द्वारा केवल उद्योगपतियों से बातचीत करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय जनता दल...
राजद की मांग,

बजट बनाने से पूर्व सरकार द्वारा केवल उद्योगपतियों से बातचीत करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय जनता दल सदस्य मनोज कुमार झा ने मंगलवार को राज्यसभा में मांग की कि आम बजट पर पुनर्विचार कर इसे आम आदमी के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।

उच्च सदन में बजट 2024-25 एवं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के बजट पर संयुक्त चर्चा में भाग लेते हुए राजद सदस्य झा ने कहा कि बजट-पूर्व चर्चा में उद्योगपतियों, कंपनियों के साथ बातचीत तो होती है किंतु बेरोजगारों, सीवर में उतरने वाले लोगों और अब तो श्रमिक संगठनों से भी कोई चर्चा नहीं की जाती।

उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें समानता की बात कही है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में धन का अश्लील और भौंडा प्रदर्शन देखा गया। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है।

झा ने बजट में मनरेगा के लिए समुचित आवंटन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय नहीं बढ़ाने का भी आरोप लगाया और दावा किया कि कोरोना महामारी के दौरान इस वर्ग के लोगों ने सर्वाधिक काम किया था।

उन्होंने कहा कि जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं करायी जाएगी, तब तक बजट अर्थहीन रहेगा और सरकार की योजनाएं एवं नीति लक्ष्यहीन बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रति वर्ष पांच-छह करोड़ रोजगार पैदा करने होंगे तभी देश अपनी जनसंख्या का लाभ उठा पाएगा।

उन्होंने बजट में बिहार को लेकर किए जा रहे दावों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम बेकार ही बदनाम हो रहे हैं।’’ उन्होंने सरकार से बजट पर पुनर्विचार करते हुए इसे आम आदमी के अनुरूप बनाने का अनुरोध किया।

चर्चा में भाग लेते हुए निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां ने कहा कि केंद्रीय बजट में पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में जहां भी डबल इंजन की सरकार है, बजट में उन राज्यों के साथ विपक्ष शासित प्रदेशों की तरह बर्ताव किया गया है।

उन्होंने कहा कि असम में बाढ़ के कारण करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है किंतु बजट में राज्य के लिए कुछ ठोस नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि असम सहित पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं किंतु बजट में इसे गति देने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

मार्क्सवादी कम्युनिसट पार्टी के ए रहीम ने कहा कि इस समय देश में जीवनयापन की लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है जबकि लोगों की आय लगातार घट रही है। उन्होंने देश में बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता जतायी।

उन्होंने कहा कि सरकार स्थायी रोजगार की परिकल्पना को खत्म कर अनुबंध पर नौकरी और आउटसोर्सिंग पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में लाखों पद रिक्त पड़े हैं जिनमें रेलवे भी शामिल है।

उन्होंने दावा किया कि सरकार सरकारी विभागों में नौकरी समाप्त करके आरक्षण को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को वजीफा देना बेरोजगारी दूर करने का कोई उपाय नहीं बन सकता।

माकपा सदस्य ने कहा कि रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना कोई अलादीन का चिराग नहीं है जिससे देश की बेरोजगारी दूर हो सके। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह केवल दो राज्यों का बजट है।

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