राजद के इनकार के बाद झारखंड में सत्ताधारी झामुमो ( झारखंड मुक्ति मोर्चा) ने बिहार के विधानसभा चुनाव में सात सीटों पर लड़ने का एलान कर दिया है। बिहार के विभाजन के पहले से जारी राजद और झामुमो की दोस्ती एक झटके में बिखर गई। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे राजद की मक्कारी करार दिया। नये नेतृत्व को कोसा। जिस तरह बिहार में झामुमो की हैसियत नहीं है उसी तरह झारखंड में भी राजद का प्रभाव नहीं है। इसके बावजूद झामुमो को नकारे जाने की बड़ी कीमत राजद को अदा करनी पड़ सकती है। असर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर भी पड़ेगा।
झारखंड में झामुमो राजद पर मेहरबान रहा है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश राजद अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी अपने समर्थकों के साथ भाजपा में चली गई थीं। जब झारखंड में महागठंधन के बीच सीटों का बटवारा चल रहा था, राजद का एक भी विधायक नहीं था। इसके बावजूद झामुमो के दबाव पर सात सीटें दी गईं। सिर्फ एक विधायक चतरा से जीता। जीतने वाले सत्यानंद भोक्ता को भी हेमंत सोरेन ने अपने कैबिनेट में जगह दी। श्रम मंत्री बनाया। लोकसभा चुनाव के दौरान भी सीटों को ले राजद के प्रति उदारता रही। झामुमो ने अपनी बेइज्जती का बदला लिया तो सत्यानंद भोक्ता के कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। पार्टी महासचिव ने कहा भी कि समय आने पर झारखंड में महागठबंधन पर विचार किया जायेगा।
कहां जायेंगे लालू
पशुपालन घोटाला मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इलाज के नाम पर रिम्स में भर्ती हैं। 2017 से वे बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के कैदी हैं मगर ज्यादा समय उनका रिम्स में ही कटा है। कोरोना के दौर में ही बिहार चुनाव आया तो लालू प्रसाद को संक्रमण से बचाने के नाम पर रिम्स के निदेशक के तीन एकड़ वाले बंगले में शिफ्ट कर दिया गया। तब रिम्स निदेशक का पद खाली था। और लालू प्रसाद रिम्स के एक सौ बेड वाले पेइंग वार्ड में भर्ती थे । लालू प्रसाद रिम्स निदेशक के केली बंगला में आ गये और पेइंग वार्ड पूरी तरह कोविड वार्ड में कनवर्ट कर दिया गया। पिछले कोई दो माह से लालू प्रसाद यहीं है। रिम्स में नये निदेशक की तैनाती के लिए साक्षात्कार का काम कोई एक पखवारा पहले पूरा हो चुका है।
तीन नामों के पैनल के बाद बस मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर का इंतजार है। झामुमो को बिहार में झटका के बाद रिम्स के नये निदेशक भी जल्द ही आने वाले हैं। और रिम्स का पेइंग वार्ड भी कोविड वार्ड घोषित हो चुका है। झामुमो से रिश्तों में खटकास के बाद लालू प्रसाद के प्रति हेमंत सरकार की कितनी मेहरबानी रहेगी, अनुमान लगाया जा सकता है। इसी तरह यह भी अनुमान ही लगाया जा सकता है कि पेइंग वार्ड और केली बंगला के बाद लालू का नया ठिकाना कहां होगा। यह भी बता दें कि पूर्व की रघुवर सरकार के शासन में लालू प्रसाद से मुलाकात करने वालों की सीमा तय थी। शनिवार को सिर्फ तीन लोग। इस मोर्चे पर भी सख्ती हुई तो बंगले में रह रहे लालू प्रसाद को फिर कैद का एहसास होने लगेगा।
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