राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को देश के गैर भाजपा नेताओं को पत्र लिखकर पिछड़े वर्गों के लिए जातिगत जनगणना के मुद्दे पर समर्थन मांगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अलग-अलग दलों के नेता नीतीश कुमार, सोनिया गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को इस संबंध में पत्र लिखा है।
यह पत्र 33 नेताओं को संबोधित है। यादव ने इसमें कहा, ‘एक संवेदनहीन सरकार के लिए फिर दोहराया जा रहा है कि जाति व्यवस्था, जिसे ‘डॉक्टर बी आर आंबेडकर श्रेणीबद्ध असमानता की प्रणाली बताते थे’ आबादी एक बड़े हिस्से के लिए नुकसान का बड़ा स्रोत रही है।’
केंद्र सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गिनती के लिए सहमति व्यक्त की है, यह संख्यात्मक तौर पर ताकतवर ओबीसी के लिए चिंता की बात है। हिंदी पट्टी में राजनीति पर इस वर्ग का दबदबा रहा है, खासकर 1990 के बाद बिहार में।
तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद और उनके चिर प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार का राजनीति में कद ओबीसी सशक्तिकरण के लिए मंडल आंदोलन के बाद बढ़ा था। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता यादव ने कहा, ‘हमें साथ आने की जरूरत है और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव डालने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं आपके सुझाव और सलाह पर विचार करने के लिए तैयार हूं ताकि हम बिना विलंब के इस पर तत्काल कार्ययोजना तैयार कर सकें।’
हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी। यादव भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
गैर भाजपा दलों के मुख्यमंत्रियों उद्धव ठाकरे, एम के स्टालिन, नवीन पटनायक, के चंद्रशेखर राव और जगमोहन रेड्डी तथा राजग से नहीं जुड़े राजनीतिक पार्टियों के नेताओं अखिलेश यादव, मायावती, फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, प्रकाश सिंह बादल और सीताराम येचुरी का नाम भी पत्र की एक प्रति के साथ जोड़ा गया है।
बिहार में राजग के सहयोगियों में कुमार, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी जैसे नेता का नाम भी सूची में है। वहीं लोजपा के चिराग पासवान तो इसमें शामिल हैं, लेकिन लोजपा के प्रतिद्वंद्वी गुट के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस का नाम इस सूची में नहीं है।
इसी तरह एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान को तो पत्र भेजा गया है, लेकिन इसमें पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का नाम शामिल नहीं है, जो भाजपा तथा कांग्रेस और राजद तथा इनके सहयोगियों की मुख्यधारा की ‘विपक्षी’ पार्टियों से समान दूरी बनाने का दावा करते हैं।