कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद भी वहां राजनीतिक हलचल तेज है। विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 15 बागी विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी। स्पीकर द्वारा तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के बाद अब बाकी बचे 12 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला अभी भी बाकी है।
कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन बागी विधायकों को विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने अयोग्य घोषित कर दिया। इनमें निर्दलीय विधायक विधायक आर शंकर भी शामिल है। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के दो विधायकों और एक निर्दलीय विधायक को 2023 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य करार दिया। स्पीकर ने यह भी कहा कि विधायकों के इस्तीफे का मामला काफी जटिल है, ऐसे में वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि 10वीं अनुसूची के एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत इनकी सदस्यता समाप्त की गई है।
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 15 बागी विधायकों की किस्मत पर फैसले को लेकर चल रहे संदेह के बीच स्पीकर आर रमेश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान बाकी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर के.आर. रमेश ने कहा कि वह कुछ दिन में फैसला करेंगे।
बीजेपी प्रवक्ता ने दिया था राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश का संकेत
इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता जी मधुसूदन ने संकेत दिया था कि वर्तमान में पार्टी के पास 105 सदस्य हैं और हम अल्पसंख्यक सरकार बनाने के इच्छुक नहीं हैं। भाजपा के राज्य प्रवक्ता जी मधुसूदन ने कहा था, 'अगर विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार करने या खारिज करने में ज्यादा समय लेते हैं तो राज्यपाल (वजुभाई वाला) राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं, क्योंकि इस तरह की स्थिति में हम सरकार बनाने के लिए दावा करना पसंद नहीं करेंगे।'
कर्नाटक में 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई
बता दें कि दो दिन पहले यानी 23 जुलाई को कई दिनों से चल रहे सियासी उठापटक पर उस समय विराम लग गया था जब कर्नाटक में 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई थी। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान सरकार के पक्ष में 99 और विरोध में 105 वोट डाले गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर पर छोड़ा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई के आदेश में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष दल-बदल विरोधी कानून के अनुसार बागियों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन बागियों ने विधानसभा में मतदान में भाग नहीं लिया। 3 जजों की पीठ ने यह भी कहा था कि बागियों को सदन में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब उनके इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 11 जुलाई से लंबित हैं।
इस्तीफों पर फैसले में ज्यादा देरी हुई तो फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं बागी
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफों पर फैसला लेने में ज्यादा समय लेने पर बागी विधायकों के शीर्ष अदालत से इसमें दखल के लिए संपर्क किए जाने की संभावना है। बागी विधायकों की अदालत के समक्ष 10 जुलाई की याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
बागियों के इस्तीफे पर स्पीकर के फैसले का इंतजार कर रही बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता जी मधुसूदन ने कहा था, 'इस्तीफों के स्वीकार किए जाने तक विधानसभा का संख्या बल 225 बना रहेगा, इसमें एक नामित सदस्य भी शामिल है, जैसा कि बागी भी अभी सदस्य हैं, इस तरह से साधारण बहुमत के लिए 113 संख्या जरूरी है। दो निर्दलीयों के समर्थन से हमारी संख्या 107 है, जो बहुमत से 6 कम हैं।' अगर विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं या सदस्यों को अयोग्य करार देते हैं तो विधानसभा का संख्या बल घटकर 210 हो जाएगी और आधी संख्या 106 हो जाएगी, जिससे बीजेपी दो निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनाने में सक्षम होगी।
मधुसूदन ने कहा था, 'अगर विधानसभा अध्यक्ष व शीर्ष अदालत को फैसले में समय लगता है तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं और विधानसभा को निलंबित रख सकते हैं, तब हम दावा करने की स्थिति में हो सकते हैं और अपने बहुमत पर सरकार बना सकते हैं।' अगर बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है या वे अयोग्य करार दिए जाते हैं तो 15 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 6 महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे।
बीजेपी कर रही है इंतजार
बीजेपी ने कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद अभी तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। राज्य के पूर्व सीएम और वरिष्ठ बीजेपी नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा था कि वह शीर्ष नेतृत्व के हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, दिल्ली में अमित शाह के साथ कर्नाटक के बीजेपी नेताओं की बैठक भी हुई है।