कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेता आज शुक्रवार को दोपहर में जंतर-मंतर पहुंचकर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करने किसान संसद पहुंचे थे। लेकिन, विपक्षी दलों के जमावड़े में ममता बनर्जी की टीएमसी से कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया। जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कांग्रेस के साथ उनकी कड़वाहट भरे संबंध अब भी कायम है।
कांग्रेस के राहुल गांधी ने अन्य पार्टियों के साथ जंतर-मंतर में किसान आंदोलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र के खिलाफ नारे लगाए और उनके हाथ में 'सेव फार्मर्स, सेव इंडिया' के पोस्टर नजर आए। लेकिन, इस दौरान आश्चर्य की बात यह थी की देश की विपक्षी दलों की पार्टियों के बीच कई भी टीएमसी से, अरविंद केजरीवाल की आप और मायावती की बसपा की ओर से कोई भी प्रतिनिधि नहीं दिखाई दिए। इससे पहले भी राहुल गांधी की ब्रेकफास्ट मीटिंग में आम आदमी पार्टी और बसपा शामिल नहीं हुई थी। लेकिन, टीएमसी की अनुपस्थिति ने कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं।
गौरतलब है कि जंतर-मंतर में प्रदर्शन करने से पहले कांग्रेस नेता सहित कई अन्य दलों के नेताओं की बैठक हुई। जिसमें विपक्ष ने पेगासस जासूसी मुद्दे, कृषि कानूनों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर चर्चा कर अपनी मांग को जारी रखने का फैसला किया। इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, जयराम रमेश, डीएमके के टीआर बालू, शिवसेना से संजय राउत और अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।
बता दें कि जंतर-मंतर में इन दिनों किसानों ने किसान संसद लगा रखी है। ये किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ 11 बजे से लेकर 5 बजे तक जंतर-मंतर पर किसानों की संसद लगाते हैं। ये किसान केंद्र सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।