राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओब्रायन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर आयोग ऐसा करने में विफल रहता है, तो पार्टी मंगलवार सुबह इस मुद्दे पर और दस्तावेज लेकर आएगी।

डेरेक ने राज्यसभा में तृणमूल की उपनेता सागरिका घोष और लोकसभा सदस्य कीर्ति आजाद के साथ एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र क्रमांक वाले पहचान पत्रों की सूची दिखाई।

उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि केवल राज्य के निवासी ही उस राज्य में मतदान करें। बंगाल में केवल बंगाल के मतदाता ही वोट डालें... (वैध) मतदाताओं को मतदान की अनुमति नहीं मिलेगी, क्योंकि उनके वोट समान ईपीआईसी क्रमांक वाले लोग डालेंगे।”

डेरेक ने कहा, “वोट देने के लिए इन लोगों को दूसरे राज्यों से लाया जाएगा। यह अस्वीकार्य है।”

दो अलग-अलग राज्यों में मतदाताओं को एक समान मतदाता पहचान पत्र क्रमांक जारी किए जाने की खबरों के बीच निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा था कि वह इस त्रुटि को सुधारेगा और अपने प्रौद्योगिकी आधारित मंच को भी अद्यतन करेगा।

आयोग ने इस बात पर जोर दिया था कि कुछ मतदाताओं का ईपीआईसी क्रमांक “समान हो सकता है”, लेकिन उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र जैसे अन्य विवरण अलग-अलग हैं।

डेरेक ने मामले को “एपिक घोटाला (महा घोटाला)” करार देते हुए आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने यह बयान तब जारी किया, जब तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की कि वह इस मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन करने जा रही है।

उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग की सीमित प्रशंसा। मैं सीमित इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि आयोग त्रुटि मान रहा है, लेकिन इसे स्वीकार नहीं कर रहा है।’’

डेरेक ने कहा, “हम निर्वाचन आयोग से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि वह अगले 24 घंटों में इसे स्वीकार कर ले। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम मंगलवार सुबह नौ बजे एक और दस्तावेज साझा करेंगे।”

तृणमूल नेताओं ने मामले की गहन जांच की भी मांग की।

घोष ने कहा कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से किए गए खुलासों से यह सिद्ध हो गया है कि अब तक लगाए गए आरोप महज आरोप नहीं हैं।

उन्होंने एक मतदाता सूची दिखाते हुए कहा, “मूल मतदाता पहचान पत्र बंगाल का है और दूसरे राज्य में एक अन्य मतदाता भी उसी ईपीआईसी क्रमांक का इस्तेमाल कर रहा है। दो लोगों का ईपीआईसी क्रमांक एक समान कैसे हो सकता है?”

घोष ने दावा किया, “यह एक घोटाला, एक कांड और एक आपराधिक कृत्य है। इसकी समयबद्ध जांच होनी चाहिए और घोटाले की असल साजिश रचने वाले को दंडित किया जाना चाहिए। हम (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी से आग्रह करते हैं कि वह लोकतंत्र पर इस तरह के हमले के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग बंद करें। हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भारत में लोकतंत्र को खत्म करने की अनुमति नहीं देंगे।”

वहीं, आजाद ने मामले की गहन जांच की मांग करते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र की स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।

उन्होंने कहा, “इस बात की जांच होनी चाहिए कि निर्वाचन आयोग के कौन-से अधिकारी इसमें शामिल हैं। हमारी नेता ममता बनर्जी ने चेतावनी दी है कि वह दिल्ली में निर्वाचन आयोग के कार्यालय में अनशन पर बैठ सकती हैं।”

तृणमूल नेताओं ने पश्चिम बंगाल और हरियाणा के 129 मतदाता पहचान पत्रों के विवरण वाली सूची साझा की, जिसमें समान ईपीआईसी क्रमांक थे।

एक सूत्र के मुताबिक, यह मुद्दा संसद के आगामी सत्र में उठाया जाएगा और तृणमूल विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के कुछ अन्य घटकों के साथ भी संपर्क में है, जिन्होंने अपन-अपने राज्यों में मतदाता सूचियों को लेकर चिंता जताई है।

निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा था कि सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटाबेस को ‘ईआरओएनईटी’ (इलेक्टोरल रोल मैनेजमेंट) मंच पर स्थानांतरित किए जाने से पहले अपनाई जाने वाली ‘‘विकेंद्रीकृत और मैन्युअल प्रक्रिया’’ के कारण विभिन्न राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान ईपीआईसी क्रमांक आवंटित हुए थे।