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पंचायत चुनाव: रायबरेली और अमेठी में भाजपा जीती, पार्टी का दावा- यूपी के 75 में 67 पर मिली जीत

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अभी हुए जिला पंचायत चुनाव को काफी अहम माना...
पंचायत चुनाव: रायबरेली और अमेठी में भाजपा जीती, पार्टी का दावा- यूपी के 75 में 67 पर मिली जीत

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अभी हुए जिला पंचायत चुनाव को काफी अहम माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया है कि पंचायत के चुनावों में भाजपा 75 में 67 सीटें जीती है। वहीं, पार्टी ने रायबरेली और अमेठी में जीत दर्ज की है। 

जिला पंजायत चुनाव में मिली जीत को भाजपा ने ऐतिहासिक बताया है। राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने इन चुनावों को जीतने के लिए अपने गुंडों और माफियाओं का सहारा लिया। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मैं बहुत खुश हूं। मैं जिला पंचायत सदस्यों को धन्यवाद देता हूं।

22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए

राज्य के 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए हैं, जिनमें इटावा जिले को छोड़कर 21 निर्वाचित अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं। इटावा में समाजवादी पार्टी (सपा) को जीत मिली है। आज वोटों की गिनती हुई है। इससे पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने मंगलवार को बताया था कि प्रदेश के 22 जिले- सहारनपुर, बहराइच, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, इटावा, चित्रकूट, आगरा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बांदा, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, अमरोहा, झांसी,  मऊ, वाराणसी, पीलीभीत, ललितपुर, शाहजहांपुर और मुरादाबाद में जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं।

पिछले महीने राज्य में चार चरणों में पंचायत चुनाव संपन्न हुए थे। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी ने जिला पंचायत मुख्य चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया क्योंकि वह अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करना चाहती है। बसपा अध्यक्ष ने कहा था कि राज्य के लोग चाहते हैं कि उनकी पार्टी अगली सरकार बनाए। उन्होंने कहा था, एक बार जब बसपा राज्य में अपनी सरकार बना लेती है, तो अधिकांश जिला पंचायत अध्यक्ष खुद बसपा में शामिल हो जाएंगे क्योंकि वे सत्ता के बिना काम नहीं कर सकते हैं। मायावती ने कहा था कि हमने इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।

 

 

 

 

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