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उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कारण, क्यों वो राजग के शीट शेयरिंग फॉर्मूले से नहीं हैं नाराज

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने बुधवार को उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह राजग के...
उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कारण, क्यों वो राजग के शीट शेयरिंग फॉर्मूले से नहीं हैं नाराज

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने बुधवार को उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह राजग के सीट बंटवारे के फॉर्मूले से नाराज हैं, जिसके तहत उनकी पार्टी को केवल एक संसदीय सीट मिली है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि उन्हें काराकाट लोकसभा सीट के अलावा उनकी पार्टी के लिए बिहार विधान परिषद की सीट का आश्वासन मिला है। काराकाट के पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘यह सच है कि हर दूसरी पार्टी की तरह हम भी अधिक सीटों की मांग कर रहे थे। लेकिन गठबंधन में सभी घटकों को समायोजित करना पड़ता है।’’

इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में जब भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के लिए राजग के सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा की गई थी, तब कुशवाहा की अनुपस्थिति से ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि कम हिस्सेदारी मिलने से वह नाराज हैं। इससे पहले 2014 में लोकसभा चुनाव में राजग के सहयोगी दल के रूप में कुशवाहा की पुरानी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को तीन सीटें मिली थीं।

हालांकि दिल्ली में भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के साथ मुलाकात की तस्वीरें मंगलवार को साझा कर सफाई पेश करने की कोशिश करने वाले कुशवाहा ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि मेरी पार्टी को एक लोकसभा सीट और राज्य विधान परिषद में एक सीट दी जाएगी। अब हमारा ध्यान राजग को बिहार की सभी 40 सीटें जीतने में मदद करने की ओर है।’’

राष्ट्रीय लोक मोर्चा का संसद या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन में वर्तमान में कोई सदस्य नहीं है। इन अटकलों पर कि अधिक सीट पाने के लिए वे इंडिया गठबंधन से संपर्क कर सकते हैं, कुशवाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी पूरब में सूर्य के उदय की तरह निश्चित है।’’

कुशवाहा ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजग छोड़ दिया था और केंद्र में मंत्री पद छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे जिसे उन्होंने डेढ़ साल बाद छोड़ दिया। अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय कर लेने वाले कुशवाहा ने पिछले साल राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार के गठबंधन किए जाने को नापसंद करते हुए जदयू छोड़ नई पार्टी बनाने के बाद राजग में लौट आए थे।

 

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