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वक्फ विवाद: बंगाल हिंसा में बंगलादेश का हाथ! राजनीति गरमाई, क्या एक्शन लेगा गृह मंत्रालय?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित होने के बाद भड़की हिंसा ने राज्य...
वक्फ विवाद: बंगाल हिंसा में बंगलादेश का हाथ! राजनीति गरमाई, क्या एक्शन लेगा गृह मंत्रालय?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित होने के बाद भड़की हिंसा ने राज्य में तनाव का माहौल बना दिया है। 11 अप्रैल से शुरू हुई इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रारंभिक जांच में सूचित किया गया है कि इस हिंसा में कथित तौर पर बांग्लादेशी घुसपैठियों की संलिप्तता हो सकती है। इस घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है।

वक्फ कानून 3 अप्रैल को लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा में लंबी चर्चा के बाद पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इसे अपनी मंजूरी दे दी। इस कानून का दावा है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में व्यापक बदलाव लाएगा। हालांकि, पश्चिम बंगाल में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो जल्द ही हिंसक हो गए। मुर्शिदाबाद के सुती, समशेरगंज, धुलियान और जंगीपुर जैसे इलाकों में हिंसक भीड़ ने घरों पर हमला किया, वाहनों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर पथराव किया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि प्रारंभिक जांच में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भूमिका संदिग्ध है, जिन्हें स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं का संरक्षण प्राप्त था। जांच में यह भी पाया गया कि राज्य सरकार घुसपैठियों पर नज़र रखने में विफल रही। गृह मंत्रालय ने हिंसा के शुरुआती दौर में पुलिस की निष्क्रियता और रेलवे संपत्तियों पर हमले के बारे में ममता बनर्जी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। इस बीच, भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए वक्फ बिल मुद्दे का इस्तेमाल किया।

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील की और कहा कि पश्चिम बंगाल में वक्फ अधिनियम लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने हिंसा को राजनीतिक साजिश करार दिया और लोगों से कानून अपने हाथ में न लेने की अपील की। दूसरी ओर, विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इसे "जिहादी ताकतों द्वारा सुनियोजित हमला" करार दिया और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच की मांग की। इस हिंसा ने पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश सीमा से लगे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना ने एक बार फिर क्षेत्र में अवैध घुसपैठ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दे को उजागर कर दिया है।

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