पश्चिम बंगाल के आदिवासी क्षेत्र और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ माने जाने वाले मेदिनीपुर इलाके में शनिवार को छठे चरण के तहत मतदान होना है। इस इलाके में पांच जिलों में आठ लोकसभा क्षेत्र आते हैं। तामलुक, कांथी, घाटल, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा और बिष्णुपुर लोकसभा क्षेत्रों में शनिवार को मतदान होना है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इन आठ सीट में से पांच पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी जबकि तीन सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। घाटल अब भी तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है और उसे छोड़कर पूर्वी मेदिनीपुर जिले में राजनीतिक समीकरण बदल गये हैं। जिले में तामलुक और कांथी लोकसभा सीट हैं, जिन पर ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस ने 2019 में जीत हासिल की थी।
लोकसभा में घाटल सीट का प्रतिनिधित्व दूसरी बार फिल्म अभिनेता देव कर रहे हैं। आदिवासी कुर्मी और महतो समुदायों को लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के जरिये तृणमूल कांग्रेस के अपना प्रभाव बढ़ाने के बावजूद, शुभेंदु अधिकारी के 2021 में पाला बदलने से क्षेत्र में शक्ति संतुलन भाजपा के पक्ष में हो गया माना जाता है।
कांथी और तामलुक लोकसभा क्षेत्रों में शुभेंदु अधिकारी एवं उनके परिवार का अच्छा-खासा प्रभाव है और ये निर्वाचन क्षेत्र वंशवादी राजनीति के उदाहरण माने जाते हैं। अधिकारी के परिवार के सदस्य महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांथी और तामलुक में चुनाव राज्य के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना में कुछ अलग हैं। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में द्विध्रुवीय चुनावी परिदृश्य है, जहां मतदाताओं के पास भाजपा और इसके राष्ट्रीय एजेंडा का समर्थन करने या बंगाल की तृणमूल कांग्रेस तथा इसकी कल्याणकारी योजनाओं के बीच किसी एक को चुनने का स्पष्ट विकल्प है।
राज्य के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिपक्षीय मुकाबले के उलट, कांथी और तामलुक में सीधा मुकाबला होने की संभावना है। शुभेंदु के भाई सौमेंदु अधिकारी कांथी लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। तामलुक में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता देबांग्शु भट्टाचार्य के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दोनों लोकसभा क्षेत्रों के तहत आने वाली 15 विधानसभा सीट में से आठ पर जीत दर्ज की थी। झाड़ग्राम, पुरुलिया और मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्रों में पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद भाजपा मुश्किल हालात का सामना कर रही है। इन तीन सीट पर उम्मीदवारों की हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुर्मी समुदाय के सदस्यों ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन एवं नाकेबंदी की थी।