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क्यों कटा पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट? मेनका गांधी ने बताया ये वजह

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से भाजपा की उम्मीदवार मेनका गांधी ने बताया कि उनके बेटे वरुण गांधी को...
क्यों कटा पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट? मेनका गांधी ने बताया ये वजह

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से भाजपा की उम्मीदवार मेनका गांधी ने बताया कि उनके बेटे वरुण गांधी को पीलीभीत से भाजपा का टिकट नहीं मिलने का मुख्य कारण एक्स पर किया गया उनका एक पोस्ट था। मेनका के अनुसार वरुण गांधी ने एक्स पर कुछ पोस्ट किया- जो सरकार के लिए कुछ हद तक आलोचनात्मक था। समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में मेनका ने कहा कि वह वरुण को पार्टी द्वारा दुबारा नहीं चुने जाने का कोई अन्य कारण नहीं सोच सकती हैं। एक मां के तौर पर उन्हें बुरा लगा कि वरुण की जगह पर भाजपा ने जितिन प्रसाद को टिकट दे दिया। मेनका का कहना है कि उन्हें यकीन है कि वरुण बगैर टिकट के भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

सुलतानपुर से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के सीट पर 25 मई यानी छठवें चरण में मतदान होना है जिसके लिए वरुण प्रचार कर सकते हैं। मेनका ने कहा कि वरुण चुनाव प्रचार के लिए आना चाहते हैं लेकिन इसको लेकर अभी फैसला नहीं हुआ है। आपको बता दें कि पीलीभीत सीट पर पहले चरण में मतदान हो चुका है। सांसद बनने की दौड़ में पीलीभीत से भाजपा ने जितिन प्रसाद को उतारा है तो बसपा ने अनीस अहमद खान को वहीं सपा से भगवत सरन गंगवार लड़ रहे हैं। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि ऐसा नहीं हुआ। 2024 लोकसभा से फिलहाल वरुण ने दूरी बना ली है।

गौरतलब है कि पीलीभीत से टिकट नहीं मिलने के बाद वरुण गांधी ने किसी भी रैली में भाग नहीं लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई रैलियां की लेकिन वरुण गांधी की मौजूदगी किसी रैली में नहीं थी। आपको बता दें कि पीलीभीत से टिकट कटने के बाद वरुण ने वहां के लोगों के नाम एक भावनात्मक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने 1983 में तीन साल की उम्र में पहली बार पीलीभीत आने का जिक्र किया था। 

वरुण ने लिखा, "आज, जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादें मुझे भावुक कर रही हैं। मुझे तीन साल का वह छोटा बच्चा याद आ रहा है, जो 1983 में पहली बार अपनी मां की उंगलियां पकड़कर पीलीभीत आया था। उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह भूमि उनकी कर्मभूमि बन जाएगी और यहां के लोग उनका परिवार।” पत्र में वरुण ने आगे लिखा, "पीलीभीत द्वारा दिए गए आदर्श न केवल एक सांसद के रूप में बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी मेरे पालन-पोषण और विकास में सहायक रहे। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा आपके हितों के लिए अपनी आवाज उठाई है।"

पीलीभीत की सीट लंबे समय से मेनका और वरुण गांधी के साथ जुड़ी रही है और ऐसा पहली हुआ है जब दोनों में से किसी को भी वहां से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला। जनता दल के टिकट पर मेनका गांधी ने 1989 में पहली बार पीलीभीत से जीत हासिल की थी। 1991 में उन्हें वहां से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 1996 में मेनेका ने वापस से पीलीभीत से जीत दर्ज कर ली। 1998 और 1999 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने फिर से पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी। बाद में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में 2004 और 2014 में भी उन्होंने पीलीभीत सीट से जीत दर्ज किया था। वहीं वरुण गांधी, 2009 और 2019 में भाजपा से पीलीभीत सीट के उम्मीदवार बने थे जहां से उन्हें जीत मिली थी।

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