बिहार सरकार के मंत्रियों ने दावा किया है कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स 2023-24 की नवीनतम रिपोर्ट ने केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता की राज्य सरकार की मांग की पुष्टि की है। नीति आयोग ने 12 जुलाई को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 जारी किया। कुछ पैमानों पर स्थिति में सुधार के बावजूद बिहार सतत विकास का आकलन करने वाले एसडीजी इंडिया इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर रहा।
जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आयोग की नवीनतम रिपोर्ट ने अधिक केंद्रीय वित्तीय सहायता को लेकर लंबे समय से की जा रही हमारी मांग को सही साबित कर दिया है… यही कारण है कि हम बिहार के लिए विशेष दर्जा (एससीएस) या विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, जो अपने वित्त का प्रबंधन खुद कर रहा है, जबकि यह देश के उन राज्यों में से एक है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘बिहार सबसे पात्र राज्य है, जिसे केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता की जरूरत है। बिहार की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। बिहार ने न केवल लगातार विकास किया है, बल्कि सबसे विकसित राज्यों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें राज्य के समग्र विकास के लिए एक विशेष पैकेज की भी जरूरत है।’’ चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार 2011-12 से ही राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग कर रही है। इससे पहले बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए गए थे।
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए जद (यू) के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं तो यही कहूंगा कि अब केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के बिहार को विशेष पैकेज या विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा कर देनी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार बिहार के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।’’
नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बिहार इकाई के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘इस रिपोर्ट ने बिहार के बारे में राजग सरकार के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है। इससे पता चलता है कि बिहार ‘डबल इंजन’ सरकार की प्राथमिकता सूची में नहीं है। यह बेहद हास्यास्पद है कि बिहार की प्रगति नीचे से शुरू होती है।’’