लोकसभा चुनाव के नतीजे बड़े दिलचस्प हो चुके हैं। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है। हालांकि, भाजपा अपने सहयोगियों के साथ सरकार बनाने की स्थिति में है, लेकिन उसका भी प्रदर्शन उम्मीद से काफी कम रहा है। भाजपा के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर बनकर उभरे हैं। इन दम पर भाजपा आसानी से सरकार बना सकती है।
इस बीच, एनडीए के सहयोगियों को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस अभी से जुट गई है। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने नीतीश कुमार के सामने उप-प्रधानमंत्री पद की पेशकश की है। वहीं, सूत्रों से हवाले से खबर आ रही है कि अगर चंद्रबाबू नायडू इंडिया अलायन्स में शामिल होते हैं तो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।
बता दें कि नीतीश कुमार की जेडीयू वर्तमान में 15 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि भाजपा कुल 13 सीटों पर आगे चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि आरजेडी ने राज्य में सबसे अधिक वोट शेयर वाली पार्टी के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है, जिसने कुल मतदान का 23% हासिल किया है। बिहार में राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में लोकसभा सीटों के लिए हुए मतदान के बाद, वर्तमान में बिहार भर में 36 से अधिक केंद्रों पर मतगणना चल रही है।
2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में 40 में से 39 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। भाजपा ने 17, जेडीयू ने 16 और एलजेपी ने 6 सीटें जीतीं। कांग्रेस सिर्फ़ एक सीट जीत पाई, जबकि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी एक भी सीट नहीं जीत पाई
हालांकि, 2014 के आम चुनावों में एक अलग परिदृश्य देखने को मिला। उस समय जेडीयू के साथ गठबंधन न करने वाली भाजपा 23 सीटें जीतकर बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसकी सहयोगी एलजेपी ने 6 सीटें जीतीं। जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ा और उसे सिर्फ़ 2 सीटें मिलीं थीं।