हिमाचल प्रदेश में चुनाव खत्म हो गए हैं और कुछ ही समय में वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी। राज्य का रिकॉर्ड रहा है कि वहां कोई भी पार्टी दुबारा सत्ता में नहीं आई है। अब देखना यह होगा कि इस बार "रिवाज" बदलता है या बीजेपी राज्य में राज्य में लगातार दूसरी बार "राज" करेगी।
हिमाचल प्रदेश गुरुवार को यह बताने वाला है कि क्या उसके मतदाताओं ने सत्ता विरोधी रुझान को छोड़ कर सत्ताधारी पार्टी को फिर से चुना है। हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से किसी भी मौजूदा सरकार को सत्ता में नहीं मिला है।
बता दें सिर्फ दो एग्जिट पोल को छोड़कर सभी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए बढ़त की भविष्यवाणी की है।
उत्सुकता से देख कर आप समझ सकते हैं कि मतदाताओं ने किस तरह से कड़े मुकाबले में फैसला किया है।
वहीं दूसरी तरफ़, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत अभियान द्वारा संचालित सत्तारूढ़ बीजेपी की प्रवृत्ति टूटने की उम्मीद है। 2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 44 और कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं, जिसमें एक सीट माकपा और दो निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गई थी।
गौरतलब है कि इस बार भाजपा का नारा था "राज नहीं, रिवाज बदलेगा" था, जिसका अर्थ है कि परंपरा बदलेगी, सरकार नहीं।
इस चुनाव में कुल 412 उम्मीदवार मैदान में हैं। राज्य के 55 लाख मतदाताओं में से 75 प्रतिशत से अधिक ने अपनी 68 सदस्यीय विधानसभा और सरकार को चुनने के लिए 12 नवंबर को हुए चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
वहीं कांग्रेस को अपनी जीत का भरोसा है, कांग्रेस ने वादा करते हुए कहा कि वो मतदाता मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन योजना और राज्य के निवासियों के जीवन और आजीविका की अन्य चुनौतियों के मूलभूत मुद्दों पर फैसला करेंगे।
कांग्रेस इस बात को लेकर उत्साहित है कि उसके वोट शेयर में केवल सुधार होगा, जबकि भाजपा पुरुषों की तुलना में अधिक महिला वोट प्रतिशत से लाभ की उम्मीद करती है।
भाजपा पार्टी ने राज्य के इतिहास में पहली बार महिलाओं के लिए एक स्टैंडअलोन घोषणापत्र तैयार किया था। हिमाचल में भाजपा के अभियान में महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया।