महाराष्ट्र के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों का एक समूह मतपत्रों से ‘‘पुनर्मतदान’’ कराने पर जोर दे रहा था, लेकिन पुलिस और इस सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) (राकांपा-एसपी) के विजयी उम्मीदवार उत्तम जानकर के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों ने मंगलवार को अपनी योजना रद्द कर दी।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव में ग्रामीणों को रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया, जिससे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।
इससे पहले, सोलापुर जिले के मालशिरस क्षेत्र के मार्कडवाडी गांव के निवासियों ने बैनर लगाकर दावा किया था कि तीन दिसंबर को ‘‘पुनर्मतदान’’ कराया जाएगा।
यह गांव मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 20 नवंबर को हुए चुनाव में जानकर ने भाजपा के राम सतपुते को 13,147 मतों से हराया था। चुनाव के नतीजे दो नवंबर को घोषित किए गए थे।
इस सीट से जानकर विजयी रहे। हालांकि, मार्कडवाडी के निवासियों ने दावा किया कि उनके गांव में जानकर को सतपुते के मुकाबले कम वोट मिले, जो संभव नहीं था। स्थानीय लोगों ने ईवीएम पर संदेह जताया।
मालशिरस के उप-मंडल अधिकारी (एसडीएम) ने सोमवार को कुछ स्थानीय लोगों की ‘‘पुनर्मतदान’’ की योजना के कारण किसी भी संघर्ष या कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति से बचने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत दो से पांच दिसंबर तक क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी।
तहसीलदार विजया पंगारकर ने मतपत्रों के जरिए पुनर्मतदान की मांग वाली ग्रामीणों की याचिका को खारिज कर दिया।
पंगारकर ने मंगलवार को कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव वैध तरीके से कराए गए थे और मतदान या मतगणना के दौरान कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी। अब मतपत्र से मतदान कराना अवैध है और चुनाव प्रक्रिया के दायरे से बाहर है।’’
बाद में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) (मालशिरस संभाग) नारायण शिरगावकर ने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों और राकांपा (एसपी) नेता जानकर के साथ विस्तार से चर्चा की।
शिरगावकर ने कहा, ‘‘हमने उन्हें कानून की प्रक्रिया समझाई और चेतावनी भी दी कि अगर एक भी वोट डाला गया तो मामला दर्ज हो जाएगा।’’
जानकर ने कहा कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और ग्रामीणों से भी चर्चा की जिसके बाद ग्रामीणों ने ‘‘पुनर्मतदान’’ की योजना रद्द कर दी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मात्र 16 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
पटोले ने मंगलवार को दावा किया कि महाराष्ट्र के लोगों को संदेह है कि चुनाव पारदर्शी तरीके से नहीं कराए गए।
पटोले ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मार्कडवाडी के ग्रामीणों ने मतपत्र से मतदान के माध्यम से इन शंकाओं को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक कदम उठाया। हालांकि, भाजपा के दबाव में प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिए और उन्हें रोकने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया। इससे ईवीएम की विश्वसनीयता और सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं।’’
पटोले ने सवाल किया कि अगर कोई अनियमितता नहीं थी तो प्रशासन ‘छद्म चुनाव’ से क्यों डर रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह ईवीएम में जनता का विश्वास बहाल करने का एक अवसर था, लेकिन इसके बजाय भाजपा के प्रभाव ने चुनावी प्रणाली में विश्वास को खत्म कर दिया है।’’
अहिल्यानगर जिले से राकांपा (एसपी) विधायक रोहित पवार ने भी प्रशासन की आलोचना की।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मार्कडवाडी गांव के लोगों का मतपत्रों से चुनाव कराने का फैसला निर्वाचन आयोग के लिए ईवीएम की पारदर्शिता को दिखाने का एक अवसर था। इसके बजाय, प्रशासन ने भय के माहौल में काम किया, प्रतिबंध लगाए और भारी पुलिस बल तैनात किया। इससे लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठते हैं।’’
मालशिरस निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी मुकाबला हारने वाले राम सतपुते ने विधान परिषद में भाजपा के सदस्य रंजीत सिंह मोहिते पाटिल पर ग्रामीणों के बीच अशांति फैलाने का आरोप लगाया। सतपुते ने कहा, ‘‘यह ग्रामीणों का आंदोलन नहीं था।’’