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पुस्तक समीक्षा : लव ड्राइव

लव ड्राइव लेखक वंकुश अरोड़ा का उपन्यास है। इसे दिव्यांश पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। एक लंबे और सफल...
पुस्तक समीक्षा : लव ड्राइव

लव ड्राइव लेखक वंकुश अरोड़ा का उपन्यास है। इसे दिव्यांश पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। एक लंबे और सफल टेलीविजन लेखक के कैरियर के बाद, लव ड्राइव के ज़रिए वंकुश पुस्तक लेखन के क्षेत्र में उतरे हैं। 

 

बात कहानी की करें तो कहानी आम भारतीय युवा की है। कहानी कबीर की है। कबीर जो एक मिडल क्लास भारतीय परिवार में पैदा हुआ, पला बढ़ा लड़का है, जिसने एक अच्छी नौकरी के लिए अपना पूरा बचपन और लड़कपन घिसा है। अब जब उसकी ज़िंदगी में नौकरी है तो उसके सपने, उसका पैशन उसे सोने नहीं देता। वह नौकरी छोड़ने और अपने मन का काम करने के द्वंद्व में झूलता है। झूलता इसलिए भी है कि प्यार यानी लड़की जीवन में होती है और उस लड़की की ज़रूरतें पूरी करने की ज़िम्मेदारी उसे मन का काम करने से रोकती है। लेकिन एक दिन लड़की छोड़कर चली जाती है और कबीर नौकरी छोड़ देता है। नौकरी छोड़कर कबीर अपने मन का काम करने निकलता है कि तभी उसे एक ऐसी इंसान मिलती है, जो उसका जीवन बदल देती है। अब क्या कबीर अपने मन का काम कर पाएगा, क्या उसमें कामयाबी पाएगा, यह नई इंसान उसके जीवन में किस तरह बदलाव लाएगी, इसके लिए किताब पढ़नी चाहिए।

 

कहानी आज के युवा की है। आज के युवा की भाषा में है। आज के युवा के भाव को कहती है।वंकुश के टीवी लेखन का अनुभव दिखता है। किताब में ग़ज़ब का फ्लो है। आप शुरू करते हैं और फिर ख़त्म कर के ही दम लेते हैं। कहीं भी रुकना या अटकना नहीं होता। भाषा प्रवाह टूटता नहीं है। यह सुंदर बात है। भाषा चूंकि हमारी बोल चाल की ज़ुबां है तो ज़्यादा दिमाग़ नहीं लगाना पड़ता। वैसे भी यह किताब दिमाग़ के लिए नहीं दिल से दिल के लिए लिखी गई है। यूं तो किताब मनोरंजन देती है मगर बीच बीच में वंकुश चुपके से गंभीर टिप्पणी कर जाते हैं। उदाहरण देखिए

 

"हिन्दुस्तान में 70% शादियां लड़कों को रास्ते पर लाने के लिए होती हैं" इसकी शादी करवा दो सुधर जाएगा "। जिस दिन शादियां लड़कों के सुधर जाने के बाद होने लग जाएंगी लड़कियों का जीवन बेहतर हो जाएगा। 

 

कितनी खूबसूरती से वंकुश ने यहां भारत की बड़ी समस्या पर टिप्पणी की। घरेलू हिंसा जो महिलाओं को झेलनी पड़ती है, नशेड़ी पतियों को सहना पड़ता है, यह इसी शादी करवा दो सुधर जाएगा का परिणाम है।

 

एक और उदाहरण देखिए

 "जब पैसा न लिखने वाले के पास जा रहा है और न बेचने वाले के पास तो, आख़िर किताब का पैसा जा किधर रहा है"।

 

यह भी महत्वपूर्ण टिप्पणी है। जिस तरह हिंदी साहित्य लेखन में लेखक का शोषण हुआ उसकी तस्वीर है यह लाइन। इतना दावा करते हैं सब कि वक़्त बदल गया मगर आज भी साहित्य के बूते, किताब लिखने से रोटी तो मिलती है मगर किल्लत भरी ज़िन्दगी ही नसीब होती है।

 

भाषा, धारदार लेखन, पंच, फ्लो के लिए वंकुश को पूरे नंबर मिलते हैं।यहां एक ज़रूरी बात। चूंकि वंकुश टीवी शोज़ लिखते हैं और कॉमेडी इनका जॉनर है इसलिए इनके लेखन में धार है, पंच है। मुख्य रूप से इनका लेखन मनोरंजन देता है। अगर ज्ञान भी देता है तो मनोरंजन का हाथ पकड़कर। लेखन की ईमानदारी के लिए यह किताब पढ़ी जानी चाहिए। 

 

 

किताब : लव ड्राइव 

लेखक : वंकुश अरोड़ा 

प्रकाशन : दिव्यांश पब्लिकेशन 

मूल्य : 199

पेज : 126

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