भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव तक भारतीय राजनयिक पहुंच मुहैया कराने से पाकिस्तान ने एक बार फिर साफ इनकार कर दिया है। भारत ने ये मांग 15 वीं बार की, लेकिन हर बार की तरह पाकिस्तान ने इनकार कर दिया है। अब भारत इस मामले में अमेरिका से उम्मीद लगा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर भारत आ रहे हैं। संभावना है कि जाधव मसले पर भारत में उनके समकक्ष अजीत डोभाल से बातचीत हो सकती है।
अमेरिका के शीर्ष विशेषज्ञों ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाने के पाकिस्तान के निर्णय पर चिंता जतायी है और कहा है कि पाकिस्तान स्वयं को विश्व मंच पर अलग-थलग किए जाने के खिलाफ भारत को एक कड़ा संदेश देना चाहता है।
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना चुनाव प्रचार के समय नौकरियां वापस लाने और देश के विनिर्माण क्षेत्र को फिर से खड़ा करने जैसे वादों को पूरा करने में विफल रहने के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की।
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने एच1बी वीजा प्रणाली में कुछ व्यावहारिक सुधारों को जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपने दरवाजे उन प्रवासियों के लिए खोलकर रखने चाहिए, जो रोजगार सृजन में और अर्थव्यवस्था को आकार देने में योगदान देते हैं।
अमेरिका की एक अदालत ने एच-1 बी वीजा के सफल आवेदकों को चुनने के लिए प्रयोग की जाने वाली लॉटरी व्यवस्था को चुनौती देने वाले मुकदमे को खारिज कर दिया है। एच-1 बी वीजा भारतीय आईटी कर्मियों और पेशेवरों में सबसे अधिक लोकप्रिय है।
अमेरिका के एक प्रमुख सीनेटर ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जरूरतों के आधार पर एच।बी कार्य वीजा की संख्या को बढ़ाने और कम करने की जरूरत है। ये वीजा भारतीय तकनीकविदों और आईटी कंपनियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
31 वर्षीय एक भारतीय अमेरिकी उद्यमी न्यूजर्सी में गर्वनर पद की दौड़ में शामिल हैं। यहां इस साल के आखिर में चुनाव होना है। रिपब्लिकन हर्षवर्धन सिंह ने गर्वनर चुने जाने के बाद संपत्ति करों में कटौती और न्यूजर्सी को तकनीकी क्षेत्रों में देश का प्रमुख स्थान बनाने का वादा किया है।
भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों के एक संगठन ने भारत में डॉक्टरों पर बढ़ते हमलों की निंदा की। साथ ही सगंठन ने चिकित्सीय पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप की भी मांग की है।
ईरान ने आज 15 अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगा दी है। ईरान ने कुल 15 अमेरिकी कंपनियों पर आतंकवाद का समर्थन करने, दमन और फलस्तीन की जमीन पर इस्राइल के कब्जे का समर्थन करने के के कारण पाबंदी लगाई है।