यह 2006 की बात है जब इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स भारत आए। तयशुदा कार्यक्रमों में से प्रिंस के लिए एक मीटिंग बहुत खास थी। वह थी चंडीगढ़ के आयुर्वेदिक डॉक्टर वैद्य मदन गुलाटी से मुलाकात। गुलाटी यूटी प्रशासन के आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक भी थे। प्रिंस ने डॉ. गुलाटी और उनकी टीम से आयुर्वेद पर चर्चा की, कुछ अपने सवालों के जवाब पाए। डॉ. गुलाटी ने उन्हें अर्जुन का छाल की चाय भेंट की। उसके बाद प्रिंस के डॉक्टर्स दो दफा भारत आए और जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण लिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शाही घराने समेत, दुनिया की कई नामचीन हस्तियां भारतीय जड़ी-बूटियों पर भरोसा करती है। यहां पाए जाने वाली 3,000 जड़ी-बूटियां और औषधीय गुणों वाले 15,000 पौधे कई बड़ी बीमारियों की अचूक दवा हैं।
भारतीय परंपरा में भगवान की पूजा करते वक्त धूप-दीप लगाने का बड़ा महत्व है। अगरबत्ती लगाना और हवन करना भी इसमें शामिल है। लेकिन सच्चाई यह है कि धूपबत्ती या अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के प्रति खतरनाक होता है। इससे कैंसर के साथ कई जानलेवा बीमारियों का भी खतरनाक हो सकता है।