फिल्म समीक्षा: उलझनों का इत्तेफाक आजकल की हिंदी फिल्मों में बिना भाषणबाजी फिल्म खत्म हो जाए तो खुद को भाग्यशाली ही समझना चाहिए। इस फिल्म... NOV 03 , 2017
समीक्षा : कॉमेडी-राजनीति का तड़का ‘रांची डायरीज’ छोटे शहरों की कहानियों की कड़ी में इस बार पेश है, रांची डायरीज। रांची की रहने वाली गुड़िया (सौंदर्य) को... OCT 13 , 2017
समीक्षा शेफ : सैफ ने परोसी साधारण डिश चांदनी चौक का छोरा रोशन कालरा छोरे-भटूरे की छोटी सी दुकान चलाने वाले से बहुत प्रभावित है। वह उन्हीं की... OCT 06 , 2017
समीक्षा : जुड़वां-2 देख लो नौ से बारह एक होती है फिल्म और एक होती है फिल्लम। फिल्म होती है आलोचकों के लिए और फिल्लम होती है दर्शकों के लिए जो... SEP 29 , 2017
समीक्षा भूमि : संजू बाबा को कमबैक चाहिए तो दोबारा बनना पड़ेगा ‘मुन्ना’ एक पिता जिसकी बेटी के साथ गैंग रेप हुआ है। बाप-बेटी चैन से जीना चाहते हैं, लेकिन समाज जीने नहीं देता।... SEP 22 , 2017
समीक्षा : पारकर की बजाय न्यूटन चुनें भड़कीली चीजें हमेशा ही कम चमकदार चीजों को ढक लेती हैं। कम बजट की फिल्म न्यूटन के साथ भी ऐसा ही हो रहा है।... SEP 22 , 2017
समीक्षा लखनऊ सेंट्रल : न गायक न कैदी छोटे शहर के लाइब्रेरियन का बेटा और बड़े ख्वाब। किशन गेहरोत्रा (फरहान अख्तर) ऐसे ही सपने देखने वाला बेटा... SEP 15 , 2017
समीक्षा सिमरन : अंग्रेजी-गुजराती खिचड़ी जटिल दिमाग के लोगों की भूमिका निभाने में कंगना को महारत हासिल है। शायद यह उनका अपना व्यक्तित्व है।... SEP 15 , 2017
फिल्म समीक्षा: लड़कों का पोस्टर चल जाएगा जब बॉक्स ऑफिस पर दो फिल्में टकराती हैं तो सबसे बड़ा सवाल होता है, कमाई कौन करेगा। कमाई का तो पता नहीं पर दर्शक डैडी के बजाय पोस्टर बॉएज देखना ज्यादा पसंद करेंगे यह कहा जा सकता है। SEP 08 , 2017
फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी मुंबइया फिल्म उद्योग का पसंदीदा विषय है, गैंगवार, गैंगस्टर, भाई लोग। घूम फिर कर निर्माता-निर्देशक हर कुछ साल में इस विषय पर आ ही जाते हैं। SEP 08 , 2017