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पुरस्‍कार लौटाने वाले साहित्यकारों के पक्ष में आए नीतीश

पुरस्‍कार लौटाने वाले साहित्यकारों के पक्ष में आए नीतीश

नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट के जरिए निशाना साधते हुए कहा कि मोदी साहित्यकारों के गुस्से को समझने के बजाय, उनमें ही जिस तरह से दोष निकाल रहे हैं, वह चिंताजनक है
यह हिंदी सम्मेलन नहीं, हिंदू सम्मेलन हैः राजेश जोशी

यह हिंदी सम्मेलन नहीं, हिंदू सम्मेलन हैः राजेश जोशी

भोपाल में चल रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में साहित्यकारों और साझी संस्कृति की अवहेलना पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ कवि सरकारी रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए, इसे हिंदी भाषा का अपमान और हिंदू सम्मेलन की संज्ञा देते है
वीके सिंह का विवादित बयान, लेखकों ने की कड़ी भर्त्सना

वीके सिंह का विवादित बयान, लेखकों ने की कड़ी भर्त्सना

भोपाल में शुरू होने वाले 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन शुरुआत से पहले ही जमकर विरोध में साहित्यकारों की जमात हो रही है।। एक दिन पहले केन्द्रीय मंत्री वी.के. सिंह के विवादास्पद बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया है।
दाभोलकर, पंसारे  के  बाद  अब कलबुर्गी

दाभोलकर, पंसारे के बाद अब कलबुर्गी

अभी महाराष्ट्र में डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या जहन में ताजा ही थी कि चरमपंथियों ने डॉ. एमएम कलबुर्गी की भी हत्या कर दी और भावित शेट्टी के ट्वीट ने एक और हत्या करने की धमकी दे डाली। आज सोशल मीडिया पर दिनभर इस प्रगतिशील लेखक की हत्या का मुद्दा छाया रहा।
चेखव की कहानी:  छुई-मुई

चेखव की कहानी: छुई-मुई

अंतोन चेखव (1860-1904) को रूसी साहित्य में ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य में महानतम कहानीकारों में से एक माना जाता है। उन्होंने न केवल कहानियां लिखीं, बल्कि चार कालजयी नाटक भी लिखे, जिनमें ‘चेरी का बगीचा’ और ‘तीन बहनें’ नाटकों को अप्रतिम माना जाता है। उनकी कहानियां विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं। चेखव पेशे से चिकित्सक थे। अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने कहानियां लिखना शुरू किया था और बाद में वह लेखक बन गए। वह कहा करते थे, डॉक्टरी मेरी धर्मपत्नी है और साहित्य प्रेमिका।
नेमाड़े फिर बरसे रश्दी और नायपॉल पर

नेमाड़े फिर बरसे रश्दी और नायपॉल पर

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार भालचंद्र नेमाडे ने एक बार फिर कहा कि सलमान रश्दी और वीएस नायपॉल के लेखन में साहित्यिक मर्म एवं मूल्यों का अभाव है और उन्होंने पश्चिम को खुश करने के लिए ऐसी कृतियां रचीं।
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