चीन के साथ टकराव और जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर शुक्रवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में विपक्ष ने सरकार को पूरा समर्थन देते हुए चीन के साथ कूटनीतिक तरीके से विवाद हल करने की सलाह दी है।
दक्षिण एशिया के सात देशों ने भारत की ओर से अपने पड़ोसियों के लिए उपहार के तौर पर छोड़े गए 450 करोड़ रूपये के संचार उपग्रह की खूब सराहना की है। इन देशों के बीच एक अभूतपूर्व अंतरिक्षीय संबंध की बानगी देखने को मिली।
भारत ने एक अद्भुत अंतरिक्ष कूटनीति को अपना कर आगे बढ़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहली बार भारत दक्षिण एशियाई देशों को 450 करोड़ रूपये के एक खास तोहफे के जरिए लीक से हटकर अतंरीक्ष कूटनीति को आजमा रहा है।
चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी को बंद करने से भारत को किसी भी प्रकार की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि जिस नदी के पानी को रोका गया है वह चीन के अधीन है और वह उसका उपयोग कर सकता है। इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालसिस में सीनियर फेलो और सेवानिवृत कूटनीतिज्ञ पी. स्टोबडन ने आउटलुक से खास बातचीत में कहा कि चीन अपने क्षेत्र में बहाव वाली नदियों पर अगर बांध बनाता है तो इससे भारत का क्यों नुकसान होगा।
पाकिस्तान की ऐसी दशा और आतंकी छवि कभी नहीं थी। 1965 और 1971 के युद्ध के बाद भी भारत-पाकिस्तान की वार्ताओं में कूटनीतिक शिष्टाचार एवं सम्मान प्रदर्शित होता था। अयूब खान, जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ के सत्ताकाल में भी दिल्ली, इस्लामाबाद, लाहौर या आगरा में दोनों देशों के नेताओं के साथ कूटनीतिक गरिमा की रक्षा होती रही।