दक्षिण एशिया के सात देशों ने भारत की ओर से अपने पड़ोसियों के लिए उपहार के तौर पर छोड़े गए 450 करोड़ रूपये के संचार उपग्रह की खूब सराहना की है। इन देशों के बीच एक अभूतपूर्व अंतरिक्षीय संबंध की बानगी देखने को मिली।
भारत ने एक अद्भुत अंतरिक्ष कूटनीति को अपना कर आगे बढ़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहली बार भारत दक्षिण एशियाई देशों को 450 करोड़ रूपये के एक खास तोहफे के जरिए लीक से हटकर अतंरीक्ष कूटनीति को आजमा रहा है।
चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी को बंद करने से भारत को किसी भी प्रकार की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि जिस नदी के पानी को रोका गया है वह चीन के अधीन है और वह उसका उपयोग कर सकता है। इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालसिस में सीनियर फेलो और सेवानिवृत कूटनीतिज्ञ पी. स्टोबडन ने आउटलुक से खास बातचीत में कहा कि चीन अपने क्षेत्र में बहाव वाली नदियों पर अगर बांध बनाता है तो इससे भारत का क्यों नुकसान होगा।
पाकिस्तान की ऐसी दशा और आतंकी छवि कभी नहीं थी। 1965 और 1971 के युद्ध के बाद भी भारत-पाकिस्तान की वार्ताओं में कूटनीतिक शिष्टाचार एवं सम्मान प्रदर्शित होता था। अयूब खान, जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ के सत्ताकाल में भी दिल्ली, इस्लामाबाद, लाहौर या आगरा में दोनों देशों के नेताओं के साथ कूटनीतिक गरिमा की रक्षा होती रही।
पाकिस्तान ने दावा किया कि अगर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले राष्ट्रों को सदस्यता देने के लिए समान पात्रता पर सहमति बनती है तो उसकी विश्वसनीयता भारत से ज्यादा मजबूत है।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिये कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तन्खा की जीत सुनिश्चत करने हेतु प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस विधायकों से सीधे संपर्क करने के साथ ही भोज कूटनीति भी पूरे जोरों पर चल रही है। राज्यसभा चुनाव का मतदान यहां शनिवार को विधानसभा भवन में होगा।
भारत और अमेरिका के संबंधों के अभूतपूर्व स्तर तक पहुंचने का हवाला देते हुए चीन के एक सरकारी अखबार ने बुधवार को कहा कि भारत चीन को रोककर या एक पक्ष को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके नहीं उभर सकता है।
वह जमाना गया, जब वचन देने वाले राजा-महाराजा बिना लिखा-पढ़ी हुए वायदा पूरा करने के लिए अपनी जान तक गंवाने को तैयार रहते थे। अब महाशक्तियां कूटनीतिक मित्रता ‘बिजनेस’ के लिए करती दिखती हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के हाथ-गले मिलने और मीठी बातों से अभिभूत होने की गलती न की जाए।
ईरान जाकर आतंकवाद और कूटनीति के मोर्चे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की योजना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक सीधे पैठ की योजना है। इस यात्रा में कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान और चीन को जवाब भी देने की तैयारी है। दूसरा महत्व ईरान के शिया मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश होने के चलते है। दुनिया में ईरान के बाद सबसे ज्यादा शिया आबादी भारत में रहती है। माना जा रहा है कि मोदी के ईरान दौरे से देश में खासकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पकड़ की दृष्टि से शिया आबादी को सकारात्मक संदेश भी दिए जाने की तैयारी है।