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आतंकी चक्रव्यूह में ‘सिंह’ की दहाड़

पाकिस्तान की ऐसी दशा और आतंकी छवि कभी नहीं थी। 1965 और 1971 के युद्ध के बाद भी भारत-पाकिस्तान की वार्ताओं में कूटनीतिक शिष्टाचार एवं सम्मान प्रदर्शित होता था। अयूब खान, जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ के सत्ताकाल में भी दिल्ली, इस्लामाबाद, लाहौर या आगरा में दोनों देशों के नेताओं के साथ कूटनीतिक गरिमा की रक्षा होती रही।
आतंकी चक्रव्यूह में ‘सिंह’ की दहाड़

हाल के वर्षों में पाकिस्तान खुलकर आतंकवादी संगठनों को हर संभव सहायता देने के साथ भारत को परमाणु बम तक से आतंकित करने का प्रयास करता रहा है। लेकिन भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवादी राजधानी इस्लामाबाद में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के मंत्री स्तरीय सम्मेलन में पहुंचकर आतंकवादी समूहों और देश पर कठोर कार्रवाई का सही संदेश दे दिया। पाकिस्तान में कथित चुनी हुई सरकार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सेना, गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई. और आतंकवादी संगठनों के सामने बौने राजनीतिज्ञ की तरह बेबस मेमने हो गए हैं। इसलिए दक्षेस संगठन यानी बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल के साथ भारत के गृह मंत्री के साथ अधिक सौहार्द्रपूर्ण कूटनीतिक शिष्टाचार एवं सम्मान दिखाया जाना चाहिए था। दक्षेस की स्‍थापना ही भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने की थी, ताकि सारे राजनीतिक, सीमा और अंतरराष्ट्रीय विवादों के बावजूद दक्षिण एशिया के देशों की लगभग दो अरब आबादी के हितों की रक्षा हो। दक्षेस के सम्मेलन बारी-बारी से सदस्य देशों में हो चुके हैं। इन सम्मेलनों और बैठकों में दक्षेस देशों के बीच जनता के अधिकाधिक आवागमन, आर्थिक संबंधों और सबके मीडिया संस्‍थानों के पत्रकारों की सुगम आवाजाही एवं रिपोर्टिंग की छूट पर जोर दिया जाता रहा है। इस बार इतने महत्वपूर्ण सम्मेलन में भारत के गृह मंत्री के भाषण तक के लिए भी भारत के सरकारी मीडिया दूरदर्शन एवं एकमात्र टी.वी. एजेंसी ए.एन.आई. को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। गृह मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण को पाक मीडिया से ब्लैक आउट कर दिया गया। विडंबना यह है कि पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से प्रभावित हो रहा है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसीलिए इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों का महिमामंडन बंद किया जाए। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद का साथ देने वाले देशों पर भी कार्रवाई हो। संभवतः पाक को यह संदेश खला होगा। कहा जाता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। सेना और आई.एस.आई. की छत्रछाया में नवाज शरीफ की सरकार पाक जनता को भी आतंक की आग में झोंक रही है। समय रहते चुनी हुई सरकार को अपना रवैया बदलकर सभी के व्यापक हितों की चिंता करनी चाहिए। संपूर्ण दक्षिण एशिया में अच्छे संबंधों से जनता का भला होगा।  

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