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तृणमूल घूसकांड की जांच करेगी एथिक्स कमेटी

तृणमूल घूसकांड की जांच करेगी एथिक्स कमेटी

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ घूस लेने के आरोपों की जांच संसद की एथिक्स कमेटी करेगी। तृणमूल कांग्रेस के छह सांसद और कुछ नेता जांच के दायरे में होंगे। शून्य काल के दौरान राज्यसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस और माकपा के सांसद के बीच तीखी बहस हुई।
भारत पर एंडीसन की टिप्पणी से जुकरबर्ग ने पल्‍ला झाड़ा

भारत पर एंडीसन की टिप्पणी से जुकरबर्ग ने पल्‍ला झाड़ा

फेसबुक के संस्थापक और प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्‍य मार्क एंडीसन की टिप्पणी से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया कि उनकी टिप्पणी बेहद परेशान करने वाली है और वह कंपनी की धारणा का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।
संसद सत्र अनिश्चित काल के स्‍थगित, कई महत्चपूर्ण विधेयक अटके

संसद सत्र अनिश्चित काल के स्‍थगित, कई महत्चपूर्ण विधेयक अटके

संसद का एक और सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। लोकसभा और राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। हंगामे के कारण जीएसटी और रियल एस्टेट सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक अटक गए। यहां तक की लोकसभा में कल पेश हुआ बैंकरप्सी बिल भी ज्वाइंट कमिटी को भेज दिया गया है। इसके अलावा इंडियन फॉरेस्ट संशोधन विधेयक, सुगर सेश संशोधन विधेयक भी पारित नहीं हो पाया।
गुप्त मिशन पर दो बार पाक आए थे दिलीप साहबः कसूरी

गुप्त मिशन पर दो बार पाक आए थे दिलीप साहबः कसूरी

अपने जमाने के चर्चित अभिनेता दिलीप कुमार ने भारत सरकार की तरफ से गुप्त मिशन पर दो बार पाकिस्तान का दौरा किया था। यह खुलासा पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने मुंबई में दिलीप कुमार से मुलाकात के बाद दी।
फांसी की शर्मनाक छाया

फांसी की शर्मनाक छाया

मौत की सजा के जरिये अपराध की रोकथाम का लक्ष्य विफल हो चुका है। शोध यह साबित करने में लगातार विफल रहे हैं कि मौत की सजा से अपराध पर रोक लगती है।
कोई है, जो सुन रहा है

कोई है, जो सुन रहा है

‘कितने कठघरे’ रजनी गुप्त की नवीनतम पुस्तक है। यह विचलित कर देने वाली पुस्तक है। वस्तुतः यह पुस्तक है ही नहीं, मार्मिक गुहार है। कोई है, जो सुन रहा है ? इसको पढ़ते-पढ़ते अपने निजी घावों के टांके खुलने लगते हैं। न जाने कितने चेहरे हैं जो न्याय मांगने हमारे सामने आ खड़े होते हैं - शंकर गुहा नियोगी, सोनी सोरी, डॉ. विनायक चटर्जी - और वह पत्रकार, जो स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता के आश्वासन पर बस्तर गया था, उसकी हत्या ? ये कुछ नाम हैं, हजारों ऐसे नाम होंगे जो अब याद नहीं।
कहानी - नदी

कहानी - नदी

हृषीकेष सुलभ साहित्य जगत के बहुत प्रतिष्ठित लेखक हैं। ग्रामीण अंचलों की पृष्ठभूमि के अलावा शहरी जीवन की चमक-दमक पर भी उनकी लेखनी उतनी ही सुगमता से चलती है। कहानी संग्रह ‘वसंत के हत्यारे’ के लिए उन्हें 16वां इंदु शर्मा अंतरराष्ट्रीय कथा सम्मान मिला। कहानियों के लिए ही बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, रंगमंच और नाटक लेखन के लिए अनिल कुमार मुखर्जी शिखर सम्मान, रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान, पाटलिपुत्र पुरस्कार, सिद्धार्थ कुमार स्मृति सम्मान आदि मिल चुके हैं।
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